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Partition Of India To India/pakistan In 1947
#89
<!--QuoteBegin-->QUOTE<!--QuoteEBegin--><b>विभाजन का वार्तालाप</b>

<b>g विभाजन के पूर्व माउंटबेटन और मोहम्मद अली जिन्ना के बीच की बातचीत का स्मरण कर रहे है डा.महीप सिंह</b> 
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ठीक छह दशक पहले मई, जून, जुलाई और अगस्त के महीने इस देश के लिए भयंकर त्रासदियों से भरे हुए थे। ब्रिटिश सरकार इस देश से अपना जाल समेट रही थी। लगभग संपूर्ण देश सांप्रदायिक दंगों की चपेट में आ गया था। कोलकाता में 16 अगस्त 1946 के दिन जो भयंकर नरसंहार हुआ था उसमें 5000 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके थे। उसी वर्ष 11 सितंबर को मोहम्मद अली जिन्ना ने बंबई में यह चेतावनी दी कि हिंदू इंडिया को पाकिस्तान अथवा गृह युद्ध में से किसी एक को चुनना है। बिहार और नोआखाली में हुए नरसंहार से ऐसा लगने लगा था कि यह देश सचमुच गृहयुद्ध की ओर बढ़ रहा है। मार्च 1947 के बाद पंजाब, सीमा प्रांत और बलूचिस्तान में दंगों की जो आग भड़की थी वह 15 अगस्त को देश के विभाजित हो जाने के बाद ही शांत हुई थी। इन्हीं दिनों ब्रिटेन में हुए आम चुनावों में सत्ता परिवर्तन हो गया। चर्चिल की कंजरवेटिव पार्टी की जगह लेबर पार्टी सत्ता में आ गई। भारत के वायसराय लार्ड वावेल को वापस बुला लिया गया। उनके स्थान पर लार्ड माउंटबेटन को नया वायसराय नियुक्त किया गया। 23 मार्च 1947 को भारत आते ही लार्ड माउंटबेटन ने सभी पार्टियों के नेताओं से बातचीत आरंभ कर दी। अपने दायित्व से निवृत्त होकर माउंटबेटन वापस चले गए तो कुछ समय बाद उन्होंने फ्रांस में जन्मे और अमेरिका में पढ़े दो पत्रकारों-लैरी कोलिंस और डोमिनिक लैपियरे को एक लंबा साक्षात्कार दिया, जिसमें उनके कार्यकाल की अनेक महत्वपूर्ण और रोचक जानकारियां दी गई है। इसमें उनकी जिन्ना के साथ रोचक भेंटवार्ता भी है।
  लार्ड माउंटबेटन ने अपने पद की शपथ ग्रहण करते ही सभी प्रमुख नेताओं से अकेले बातचीत शुरू कर दी। माउंटबेटन इस देश में पांच नेताओं को विशेष महत्वपूर्ण मानते थे-महात्मा गांधी, नेहरू, पटेल, जिन्ना और लियाकत अली खान। इनमें सरदार पटेल और जिन्ना उन्हे अपने विचारों में बहुत कठोर और अविचलित रहने वाले लगते थे। जिन्ना के संबंध में उनकी राय थी कि हर बात में 'नहीं' कहना उनके व्यक्तित्व का एक भाग बन गया था। जिन्ना अपने प्रस्तावित पाकिस्तान में पूरा पंजाब और पूरा बंगाल शामिल करना चाहते थे। माउंटबेटन ने कहा-मैं नहीं चाहता कि भारत विभाजित हो। जिन्ना का उत्तर था, हमें विभाजन चाहिए। जब आप यहां से चले जाएंगे, हम बहुसंख्यक हिंदुओं की दया पर सदा के लिए निर्भर हो जाएंगे। हमारा दमन किया जाएगा। जिन्ना ने कहा कि आप मुझे जीने योग्य पाकिस्तान दीजिए। आप मुझे पूरा पंजाब और उसके साथ सिंध, सीमा प्रांत, बंगाल तथा असम दीजिए। माउंटबेटन ने कहा-देखिए, मिस्टर जिन्ना, आप कहते है कि आप यह नहीं मानेंगे कि अल्पसंख्यकों पर बहुसंख्यक शासन करे। जिन्ना ने तुरंत कहा- बिल्कुल ठीक। ठीक है, माउंटबेटन ने कहा-मुझे यह पता है कि पंजाब और बंगाल में बहुत बड़ा ऐसा क्षेत्र है जिसमें दूसरे समुदाय के लोग बहुसंख्या में है। इन्हे पूर्वी और पश्चिमी भागों में बांटा जा सकता है। इसलिए यदि आपको पाकिस्तान चाहिए तो मुझे पंजाब और बंगाल को भी विभाजित करने की व्यवस्था करनी पड़ेगी। इस पर जिन्ना ने उत्तेजित होते हुए कहा-महामहिम, आप यह नहीं समझते कि पंजाब एक राष्ट्र है। बंगाल एक राष्ट्र है। वहां व्यक्ति एक पंजाबी या एक बंगाली पहले है, हिंदू या मुसलमान बाद में। यदि आप ये प्रांत हमें दे रहे है तो आप किसी भी स्थिति में इनका विभाजन नहीं करेंगे। ऐसा करके आप इन प्रांतों की जीवन-शक्ति को नष्ट कर देंगे। जिन्ना की बात से माउंटबेटन बहुत खुश दिखे। बोले- मि. जिन्ना, मैं आपकी बात से पूरी तरह सहमत हूं। यह सुनकर जिन्ना ने कहा-ओह,आप मेरी बात से सहमत है?
  माउंटबेटन बोले, हां यह सही है कि एक व्यक्ति हिंदू या मुसलमान होने से पहले एक पंजाबी या बंगाली है, लेकिन वह अन्य कुछ भी होने से पहले एक हिंदुस्तानी है। आपने मुझे वे सभी तर्क दे दिए है जिससे मैं इस देश को अखंड रख सकता हूं। जिन्ना एकदम सकपका गए। बोले-यदि आप ऐसा करेगे तो हम फिर सारी बात शुरू करेगे। माउंटबेटन ने पूछा-मिस्टर जिन्ना, क्या यह सही है कि आप विभाजन चाहते है? जिन्ना बोले-हां बिल्कुल। माउंटबेटन ने कहा-यदि आप विभाजन चाहते है तो आपको पंजाब और बंगाल का विभाजन स्वीकार करना पड़ेगा। जिन्ना अपने तर्को के जाल में फंस गए थे। अंत में जिन्ना ने जिद छोड़ते हुए कहा-तो, आप हमें कीड़े-खाया पाकिस्तान देने पर उतारू है। माउंटबेटन ने उतर दिया-असल में मैं यह चाहता हूं कि आप भारत को संयुक्त रहने दें। माउंटबेटन ने जिन्ना से कहा कि यदि आप मुझ पर विश्वास करे, यदि आप कैबिनेट मिशन के प्रस्तावों को स्वीकार कर लें तो आप देखेंगे कि आपको कितनी बड़ी स्वायत्तता प्राप्त हो गई है। पंजाब और बंगाल अपना शासन स्वयं चला सकते है। उस स्थिति में आप केंद्र को किसी प्रकार का हस्तक्षेप करने से रोक सकते है। क्या यह बात आपको अपील नहीं करती? जिन्ना का उत्तर था-मैं हिंदुस्तान का हिस्सा नहीं बनना चाहता। मैं अपना सब कुछ गंवा सकता हूं, पर हिंदू राज के नीचे नहीं रह सकता। माउंटबेटन अपने साक्षात्कार में कहते हैं-जिन्ना बोलते गए..बोलते गए..बोलते गए। मैंने इसका अनुमान नहीं लगाया था कि एक समझदार, सुशिक्षित, इंग्लैंड में पढ़ा व्यक्ति अपनी बुद्धि को इस प्रकार बंद करने के योग्य है। अंतत:भारत विभाजित हो गया। माउंटबेटन के शब्दों में जिन्ना एक दुष्ट प्रतिभाशाली थे। स्वतंत्र भारत और स्वतंत्र पाकिस्तान अस्तित्व में आ गए, किंतु कितना मूल्य चुका कर? विभाजन की इस प्रक्रिया में छह लाख से अधिक लोगों ने अपनी जान गंवाई। 50 लाख से अधिक लोग इधर आए, 60 लाख से अधिक लोग उधर गए। जनसंख्या का इतना बड़ा विनाश और निष्क्रमण संसार के इतिहास में सानी नहीं रखता।

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