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Amarnath Land Deal
#61
(more pics on prev. page)

<img src='http://l.yimg.com/ki/epaper/jagran/20080805/09/jmu4jkcd26-c-3-1_1217908578_m.jpg' border='0' alt='user posted image' />

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<span style='color:red'>
Despite the Undeclared Emergency, Undeterred Crowds Continue to Jam the Highway to Kashmir

हाईवे पर उतरा हुजूम</span>
जम्मू, कठुआ, ऊधमपुर, जागरण टीम :

जम्मू संभाग में अघोषित इमरजेंसी लागू होनेके बावजूद अमरनाथ भूमि के लिए आंदोलन कर रहे राष्ट्रवादियों के जुनून में कोई फर्क नहीं आया है। कश्मीरियों की धमकी से डरकर घाटी की सप्लाई सुनिश्चित करने के लिए नेशनल हाईवे पर सेना का पहरा बिठा देने का राज्य प्रशासन का कदम भी नाकाफी साबित हो रहा है।

सोमवार को लखनपुर से लेकर थीन डैम तक के दर्जनों गांवों की संघर्ष समितियों के सदस्यों ने लखनपुर में हाईवे पर रोष रैली निकाल कर राज्य प्रशासन के खिलाफ विरोध जताया। इसके अलावा कुछ प्रदर्शनकारियों ने रेल रोकने के उद्देश्य से पल्ली मोड़ के पास रेलवे लाइन पर भी धरना-प्रदर्शन किया। करीब एक घंटे तक प्रदर्शन जारी रहने के कारण वहां से गुजरने वाली टाटा मुरी ट्रेन को बुद्धि रेलवे स्टेशन पर ही रोक दिया गया। हीरानगर में भी आंदोलन कुचलने के लिए सरकार द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग पर धारा 144 लगाए जाने के बावजूद दियालाचक, हीरानगर मोड़ व घगवाल आदि अड्डों पर लोगों ने प्रदर्शन कर राज्यपाल एनएन वोहरा व महबूबा मुफ्ती के पुतले फूंके। जम्मू में भी बंद के ग्यारहवें दिन शहर व आसपास के इलाकों में हर गली-नुक्कड़ पर कंटीले तार लगाकर बनाए गए सेना और पुलिस के नाके लोगों को घरों से बाहर आने से नहीं रोक पाए। मुट्ठी, जानीपुर, राजपुरा, भगवती नगर, चट्ठी, गंग्याल, त्रिकुटानगर व गांधीनगर में लोगों ने दिन में रैलियां निकाल और रात को थालियां बजाकर अपने गुस्से का इजहार किया। इस दौरान राजपुरा में हुए पथराव में पुलिस का हेड कांस्टेबल रवि जी घायल हो गया। शहर के मुट्ठी इलाके में हजारों प्रदर्शनकारी कफ्र्यू का उल्लंघन करते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग पर आ गए। मुट्ठी से जानीपुर पहुंचे लोगों ने पुलिस स्टेशन के बाहर प्रदर्शन किया। बम-बम भोले के नारे लगा रहे लोगों ने पुलिस को खदेड़ कर राजमार्ग पर पत्थर लगाकर उसे जाम कर दिया। बाद में उन्होंने आप शंभु मंदिर में भूमि वापस मिलने तक आंदोलन जारी रखने का संकल्प लिया। त्रिकुटानगर में सोमवार शाम बड़ी संख्या में लोग कफ्र्यू का उल्लंघन कर सड़कों पर उतरे और प्रदर्शन किया। गंग्याल संघर्ष समिति के बैनर तले भी स्थानीय लोग कफ्र्यू का उल्लंघन करते हुए राजमार्ग पर जमा हुए। गंग्याल के सेक्टर 1, 2, 3 और 4 से होते हुए प्रदर्शनकारी एकता विहार से बाहर निकल कर राजमार्ग पर पहुंचे। सेना के जवानों द्वारा रोकने और लाल झंडी दिखाए जाने के बावजूद प्रदर्शनकारियों ने राजमार्ग पर शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन किया।
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#62
<span style='color:red'>Even the Jammu kids dont care for the Shoot At Sight Curfew</span>

<img src='http://l.yimg.com/ki/epaper/jagran/20080805/09/jmu4jkcd20-c-3-1_1217908594_m.jpg' border='0' alt='user posted image' />

In Shaktinagar:

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#63
<span style='color:red'>Junior Doctors Association of Jammu Threatens to Not attend to Injured Policemen</span>

नहीं करेंगे पुलिस का उपचार
जम्मू, संवाद सहयोगी : कफ्र्यू के दौरान डाक्टरों और मेडिकल इंप्लाइज के पहचान पत्र देखने पर भी अस्पतालों में जाने से रोकने वाले पुलिसकर्मियों व सुरक्षाकर्मियों को चेतावनी देते हुए जूनियर डाक्टर एसोसिएशन ने कहा है कि वह जरूरत पड़ने पर उनका उपचार नहीं करेंगे। एसोसिएशन के प्रधान आंचल कोतवाल ने बताया कि कफ्र्यू के दौरान भी स्वास्थ्य सेवाओं से जुडे़ लोगों को अपने काम पर जाने की छूट दी जाती है लेकिन जम्मू में पुलिस और सेना के जवान उनके पहचानपत्रों को देखने से भी इंकार कर देते हैं और उन्हें काम पर जाने से रोकते हैं। उन्होंने प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उन्हें काम पर जाने से रोका जाएगा तो वह किसी भी पुलिसकर्मी या अधिकारी का इलाज नहीं करेंगे।
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#64
<img src='http://l.yimg.com/ki/epaper/jagran/20080805/09/jmu04ktr3-c-3-1_1217908603_m.jpg' border='0' alt='user posted image' />
Hindu Youth in Katra Defy Curfew and take out a Motorcycle Rally

<img src='http://l.yimg.com/ki/epaper/jagran/20080805/09/jmu4kth5-c-2-1_1217908603_m.jpg' border='0' alt='user posted image' />
Women were not behind in protests.

<img src='http://l.yimg.com/ki/epaper/jagran/20080805/09/jmu4kth4-c-3-1_1217908604_m.jpg' border='0' alt='user posted image' />
Exodus of Hindu-Sikhs from Congress and NC continue. These ex-congress gentlemen joined the protesters.
कठुआ में आंदोलन में शामिल होने के लिए अपने समर्थकों के साथ आते कांगे्रस के पूर्व प्रधान नरेश शर्मा एवं राजेंद्र सिंह बब्बी।

Local Congress also awakens from the slumber. Says is with the protesters.

आखिरकार क्षेत्र के कुंभकर्ण मतलब कांग्रेसी नेता की भी नींद टूटी और दबी आवाज में ही सही पर उन्होंने बंद व श्री अमरनाथ संघर्ष समिति के बंद को समर्थन देने की घोषणा की। कांग्रेस मायनारिटी विंग के उप प्रधान शशि शर्मा ने कांग्रेसी कार्यकर्ताओं से अपील की है कि वह भी प्रदर्शनों व रैलियों में बढ़ चढ़ कर भाग लें। उन्होंने बताया कि हमारी मजबूरी है कि हम बोल नहीं सकते इसलिए हमारा ब्लाक कांग्रेस कमेटी का पूरा समर्थन संघर्ष समिति के साथ है। उन्होंने कहा कि अब जमीन वापस लेकर ही रहेगे।
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#65
<span style='color:red'>As Raksha Bandhan is Just a Few Days Away, Ruchi Lost Her Sole Brother Sunny to the Police Bullets.

किसकी कलाई पर बांधूंगी राखी</span>
Aug 05, 12:45 am

सांबा, संवाद सहयोगी

पुलिस की गोलियों से शहीद हुए सन्नी पाधा की बहन का रो रोकर बुरा हाल था। वह बस यही कह रही थी कि अब वह किसकी कलाई पर राखी बांधेगी।

विदित रहे कि सांबा में जब लोग हाथों में तिरंगा झंडा लेकर शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे थे और भारत माता की जय के नारे लगा रहे थे तो उन्हें पुलिस की ओर से ताबड़तोड़ लाठियों का सामना करना पड़ा। इसी बीच उन पर आंसू गैस के गोले दागे गए और उसके बाद गोलियां भी चलाई गई। गोलियों में दो युवक शहीद हो गए और उनमें सन्नी पाधा भी शामिल था।

सन्नी पाधा के मौत पर घरवालों का रो रोकर बुरा हाल था। वह अपने माता पिता का एकमात्र सहारा था और उसकी बहन रूचि बार बार यही कह रही थी कि इस बार वह किसकी कलाई पर राखी बाधेगी। सन्नी जोकि ग्रेजूएशन कर चुका था और श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड की जमीन वापस देने की मांग को लेकर वह भी इस धर्मयुद्ध में शामिल था।

वहीं, शहीद संजीव सिंह के घरवालों का भी रो रोकर बुरा हाल था। घर के सदस्य इस हादसे को सहन नहीं कर पा रहे थे।
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#66
लखनपुर के आगे भी आता है सप्लाई ठप करना
Aug 05, 12:34 am

जम्मू, जागरण संवाददाता : घाटी में राशन सामग्री पहुंचाने के लिए फिक्रमंद राज्यपाल एनएन वोहरा की बजरंग दल ने चेतावनी दी है। पत्रकारों से बातचीत करते हुए बजरंग दल के राष्ट्रीय संयोजक प्रकाश शर्मा ने कहा कि संगठन को लखनपुर के आगे भी राशन की सप्लाई को ठप करना जानता है। इस दिशा में जल्दी ही कदम उठाएं जाएंगे। प्रशासन को ज्ञात होना चाहिए कि अब लोग जाग गए हैं। अब हर पल सेना की सुरक्षा का सहारा लेकर घाटी की ओर रसद नहीं पहुंचाई जा सकती। देश का राशन खाकर देश के खिलाफ ही आग उगलने वालों से सख्ती से निपटा जाना चाहिए । मगर ऐसे में राज्यपाल वोहरा जम्मू को क‌र्फ्यू की आग में झोंक कर व सेना का सहारा लेकर घाटी में रसद पहुंचाने में जुटे हुए हैं।

प्रकाश शर्मा ने राज्यपाल से पूछा कि बंद और क‌र्फ्यू के दौरान जम्मू के देशभक्त लोगों का जो हाल हुआ है, क्या इसकी कभी उन्होंने कोई खबर ली गई? जम्मू के देशभक्त लोगों तक राशन पहुंचाने का कोई प्रयास किया गया? नहीं किया गया। बस सरकार का सारा ध्यान देश विरोधी लोगों की सेवा की ओर ही बना रहा। शर्मा ने कहा कि घाटी के यह वही देशद्रोही लोग हैं जो कि अपने फलों को बिकवाने के लिए पाकिस्तान से भी हाथ मिलाने का तैयार बैठे हैं।

बजरंग दल के राष्ट्रीय संयोजक प्रकाश शर्मा ने प्रशासन को जबरदस्त लताड़ लगाई जिसने बुड्ढा अमरनाथ यात्रा नही होने दी और अब ठीकरा बजरंग दल के नेताओं पर फोड़ने का उतारू है। शर्मा ने कहा कि साध्वी ऋतंबरा को एयरपोर्ट से बाहर नही आने देना, यात्रा आयोजकों को नजरबंद करना, यात्रियों को स्टेशन से लौटाना, राजौरी में क‌र्फ्यू लगाना व पुंछ में क‌र्फ्यू जैसी स्थिति बनाने का फिर क्या मतलब है। उन्होंने कहा कि सरकार नही चाहती कि जम्मू कश्मीर में हिंदुओं की धार्मिक यात्राएं बढ़े।
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#67
<span style='color:red'>Bar Association Declares Free Services to All Protesters Arrested by Police</span>

बिश्नाह, संवाद सहयोगी : बार एसोसिएशन बिश्नाह की प्रधान एडवोकेट शामली कोहली, एडवोकेट केएस सैनी और एडवोकेट संपूर्ण सिंह मन्हास ने जमानत करवाई। एसोसिएशन ने घोषणा की है कि अगर कोई भी क‌र्फ्यू का उल्लंघन करने या प्रदर्शन करते हिरासत में लिया जाता है तो उसकी वह बिना पैसा लिए जमानत करवाएंगे।
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#68
People Have Nothing To Eat Any More. Milk and Vegetables wree already gone, now even the basic commodities are getting over. No Cash left anyways. People are using Electrical Heaters or wood to save on LPG.

शहर में अब खाने पीने के लाले
Aug 05, 01:11 am

जम्मू, जागरण संवाददाता। जम्मू में क‌र्फ्यू के चलते लोगों को खाने पीने के लाले पड़ गए हैं। अनेकों घरों में राशन खत्म हो गया है। रोजमर्रा के जरूरी सामान की भी कमी हो गई है। सब्जियों से तो कई दिन पहले ही नाता टूट गया था। अब कुकिंग गैस की भी भारी कमी हो गई है। दूध की सप्लाई पिछले कई दिनों से बंद पड़ी है। बैंक व अन्य वित्तिय संस्थानों के बंद रहने से लोगों की जेबों में भी रुपया नहीं आ सका है। ऐसी परिस्थितियों में आम लोगों की दिक्कतें काफी बढ़ गई हैं। क‌र्फ्यू के दौरान दूर दराज की गलियों में खुलने वाली दुकानों में भी अब राशन नहीं रहा। सबसे ज्यादा मार निम्न व मध्य वर्गीय लोगों को पड़ रही है जिनके घरों के डिब्बों में अब राशन नहीं है।

नई बस्ती के रमेश का कहना है कि कुकिंग गैस कई दिनों से खत्म है, घर में आटा भी नहीं। ऐसे में कैसे गुजारा होगा। क‌र्फ्यू इतना सख्त लगा है कि एक मुहल्ले से दूसरे मुहल्ले तक जाना मुश्किल हो गया है। गांधी नगर के राजेश शर्मा का कहना है कि उन्होंने समय रहते राशन जमा कर लिया था। मगर अब वह खत्म हो रहा है। कुकिंग गैस के सिलेंडर भी खाली होने को है। अगर क‌र्फ्यू अधिक समय के लिए रहा तो लोगों की मुश्किलें काफी बढ़ जाएंगी।

क‌र्फ्यू लगने से शहर में राशन की आपूर्ति पूरी तरह से ठप है। दूकानें, डिपो सब बंद हैं। व्यापारियों का कहना है कि राशन तो है मगर वह शहर में कैसे पहुंचाए। हर तरफ आवाजाही पर रोक है। शहर के बाहरी क्षेत्रों में सुरक्षा बलों से दूध वालों, सब्जियों ले जाती गाड़ियों को शहर में प्रवेश नहीं करने दिया।

क‌र्फ्यू के लगातार जारी रहने व हालात और गंभीर रहने की आशंका के चलते अब लोगों ने घर के बचे राशन का कंजूसी से इस्तेमाल शुरू कर दिया है। कुकिंग गैस बचाने के लिए लोग जितना ज्यादा हो सके, हीटर चला रहे हैं।
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#69
<img src='http://l.yimg.com/ki/epaper/jagran/20080805/09/jmu4jkcd31-b-1_1217908616_m.jpg' border='0' alt='user posted image' />

Within mins after the two youth were shot dead, a massive crowds gathered in protest.
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#70
A Good Op-Ed in Jagran:

जम्मू में केंद्र की तटस्थता

श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड जमीन मामले के प्रति केंद्र की उदासीनता को घातक मान रहे हैं निशिकान्त ठाकुर

श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड को अस्थायी निर्माण के लिए भूमि के आवंटन और फिर अलगाववादी एवं सांप्रदायिक ताकतों के दबाव में उसके निरस्तीकरण के मसले पर जम्मू में अब हालात विस्फोटक हो चुके हैं। आने वाले दिनों में क्या हो जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता। ध्यान रहे, इसी मसले पर इंदौर में उग्र प्रदर्शन हो चुके हैं। यहां तक कि कफ्र्यू लगाने की नौबत भी वहां आ चुकी है। देश के दूसरे शहरों में भी इस पर शांतिपूर्ण तरीके से असंतोष जताया जा चुका है। यह अलग बात है कि शांतिपूर्ण ढंग से विरोध जताने का अब किसी सरकार के लिए कोई मतलब नहीं रह गया है। शायद यही वजह है कि जम्मू में इस मामले ने इतना तूल पकड़ा और आखिरकार यह भयावह रूप लिया। हालांकि शुरुआती दौर में वहां भी जनता शांतिपूर्ण ढंग से ही विरोध प्रदर्शन कर रही थी, पर जब पुलिस ने बल प्रयोग किया और श्री अमरनाथ संघर्ष समिति के शहीद कार्यकर्ता कुलदीप वर्मा के शव के साथ बदसलूकी की तो जनता इसे बर्दाश्त नहीं कर सकी। अब अगर लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि क्या बार-बार और हर तरह से अपमानित किए जाना ही जम्मू-कश्मीर के हिंदुओं की नियति है, तो इसे गलत नहीं कहा जा सकता है। एक मामूली भूखंड, जो साल में नौ-दस महीने तो बर्फ से ढके रहने के कारण किसी काम लायक नहीं रहता, को लेकर शुरू हुआ यह मसला अब जम्मू के लोगों की अस्मिता का सवाल बन चुका है। इस पूरे मामले और जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक-सामाजिक इतिहास पर नजर डालें तो जाहिर हो जाता है कि श्राइन बोर्ड को भूमि आवंटन व निरस्तीकरण तथा कुलदीप के शव के अपमान के मसले ने इसमें सिर्फ घी या पेट्रोल का काम किया है। असल आग बहुत पहले से सुलगती आ रही है। तबसे जबसे जम्मू संभाग ने यह महसूस किया कि राजनीतिक तौर पर उसके साथ लगातार पक्षपात होता चला आ रहा है। यह पक्षपात उसके साथ केवल इसलिए हो रहा है कि जम्मू संभाग हिंदू बहुल है और वहां की सरकार को वहां हिंदुओं का होना ही खटक रहा है। अगर ऐसा नहीं है तो क्या कारण है कि दो राजनीतिक दलों द्वारा वहां के संविधान से धर्मनिरपेक्ष शब्द बाकायदा अभियान चला कर हटवाया गया। राज्य में शरीयत कानून लागू करने संबंधी विधेयक को मंजूरी भी इन्हीं राजनीतिक दलों के कारण मिली थी। हद तो यह है कि ये दोनों दल इसके बाद भी खुद को धर्मनिरपेक्ष बताते हैं। आज जम्मू की जनता बार-बार सवाल उठा रही है कि श्राइन बोर्ड को अस्थायी तौर पर भूमि आवंटन को लेकर कश्मीर में अलगाववादियों ने तोड़फोड़ से लेकर आगजनी तक सब कुछ कर डाला और तब भी वहां कफ्र्यू नहीं लगाया गया। जबकि यहां शांतिपूर्ण प्रदर्शन को उग्र होने के लिए मजबूर पुलिस ने किया और कफ्र्यू भी लगा दिया। इंसाफ का यह कौन सा तरीका है? क्या इससे अलग-अलग संभागों के बीच फर्क करने की सरकारी नीति उजागर नहीं होती है? जम्मू के लोगों का आरोप है कि आवंटित जमीन सिर्फ इसलिए वापस ली गई ताकि कश्मीर के अलगाववादी और पाकिस्तानपरस्त ताकतों को संतुष्ट किया जा सके। जम्मू के प्रदर्शनकारियों के साथ बर्बरतापूर्ण व्यवहार भी इसीलिए किया गया। इसमें कोई दो राय नहीं है कि पुलिस ऐसा बर्बरतापूर्ण दमन तब तक कर ही नहीं सकती जब तक कि उसे सरकार की ओर से इसके लिए शह न मिली हो। अब यह बात सिर्फ जम्मू ही नहीं, पूरे देश के लोग कह रहे हैं और यह घटना पूरे देश में असंतोष का कारण बन रही है। इस मामले में राज्यपाल एन.एन. वोहरा की भूमिका को सबसे महत्वपूर्ण माना जा रहा है और इसीलिए जनता में उनके खिलाफ बेहद आक्रोश है। सच तो यह है कि जायज मांगों को लेकर उठे जनाक्रोश को बहुत दिनों तक दबाया नहीं जा सकता है। अभी भले ही वहां गईं उमा भारती व ऋतंभरा जैसी नेताओं को बोलने भी नहीं दिया गया, पर जनता को बहुत दिनों तक दबाया नहीं जा सकेगा। इसके लिए संघर्ष में रोज कई लोग घायल भी हो रहे हैं। लोगों के आक्रोश का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि अब तक सात लोग इस आंदोलन में शहीद हो चुके हैं, फिर भी लोग कफ्र्यू तोड़ कर धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। इस आंदोलन को दबाने के लिए पुलिस किस हद तक जा रही है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पत्रकारों को भी काम के लिए आने-जाने नहीं दिया जा रहा है और प्रेस फोटोग्राफरों के कैमरे तक तोड़ दिए जा रहे हैं। कुल मिलाकर इमरजेंसी जैसे हालात बना दिए गए हैं। इसके बावजूद जनता की शक्ति और जज्बे का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ऐसे समय में जबकि दुकानें नहीं खुल रहीं हैं और लोगों को खाने-पीने की चीजें भी नहीं मिल पा रही हैं, तो भी भारी भीड़ प्रदर्शन के लिए निकल रही है और इसमें बच्चे-बूढ़े व स्ति्रयां सभी बेधड़क शामिल हो रहे हैं। आम जनता की दृढ़ इच्छाशक्ति का अंदाजा लगाने के लिए यह तथ्य काफी है। हैरत की बात है कि इस पर भी केंद्र सरकार इसे राजनीतिक शिगूफेबाजी मान रही है और ऐसा सोच रही है कि थोड़े दिन चल कर यह आंदोलन अपने आप थम जाएगा। दरअसल जम्मू की जनता यह बात लंबे अरसे से महसूस करती आ रही है कि कश्मीर के लोग अपनी मांगें मनवाने के मामले में हमेशा उन पर भारी पड़ते रहे हैं। इसका कारण कुछ और नहीं, केवल वहां अलगाववादियों की बहुलता और उनका उग्र होना है। उग्र न होने के ही कारण कश्मीर संभाग से अधिकतम हिंदुओं को पलायन करना पड़ा। अपने घर-खेत छोड़ कर अब वे दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं और शरणार्थी बनने को विवश हैं। अब दूसरे राज्यों से आए मजदूर भी वहां से खदेड़े जा रहे हैं। हिंदू तीर्थयात्रियों और पर्यटकों पर भी अब वहां हमले किए जा रहे हैं। यह सब सोची-समझी साजिश के तहत किया जा रहा है। जम्मू की जनता यह मानती है यह साजिश राजनीतिक स्तर पर भी की गई है। आखिर क्या कारण है कि क्षेत्रफल और आबादी में कश्मीर से काफी बड़ा होने के बावजूद जम्मू संभाग को लोकसभा में सिर्फ दो और विधानसभा में 37 सीटें मिली हुई हैं। जबकि छोटे होने के बावजूद कश्मीर संभाग को लोकसभा की तीन और विधानसभा की 46 सीटें प्राप्त हैं। उस पर तुर्रा यह कि यहां 2026 तक परिसीमन पर भी रोक लगा दी गई है। जम्मूवासी इसे अपने साथ राजनीतिक अन्याय का ज्वलंत उदाहरण ही नहीं, किसी बड़ी साजिश का हिस्सा भी मानते हैं। सच तो यह है कि जम्मूवासियों का यह असंतोष अब बहुत गंभीर रूप लेता जा रहा है। यह स्थिति ज्यादा गंभीर इसलिए भी है कि इसी राज्य के एक और संभाग लद्दाख की जनता की सहानुभूति भी जम्मू के लोगों के साथ है। देश के बाकी हिस्सों के लोगों की भी पूरी सहानुभूति जम्मू की आम जनता के साथ है। यह और ज्यादा उग्र हो, इसके पहले बेहतर यह होगा कि केंद्र इस मामले में हस्तक्षेप करे और पूरे मामले को नए सिरे से देखते हुए सही फैसला करे। वोटबैंक और तुष्टीकरण की चिंता छोड़कर इसे भारतीय संविधान की मूल भावना के अनुरूप और राष्ट्रीय अस्मिता के सवाल के रूप में देखने की कोशिश करे। अन्यथा इसमें कोई दो राय नहीं है कि आने वाले दिनों में केंद्र की इस भयावह तटस्थता को पक्षपात से ज्यादा खतरनाक माना जाएगा। (लेखक दैनिक जागरण के स्थानीय संपादक हैं)

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#71
Jammu should demand that they should equal or more number of MLA/MP seats in Kashmir for their area. It should be proportional to the population in that area.
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#72
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<span style='color:red'>When Faith is at Stake, Would not Keep Quiet.</span>

Jammu youth is known for its progressive, western and fashionable outlook. But what has surprised everyone is that this fashionable western youth is which has shown the way by taking to streets in the Amarnath Issue and leading from front. When youth were celebrating Friendship Day elsewhere, Jammu youth is set on a do-or-die mission.

Housewives and young ladies are taking part from the front. Parents are sending their young kids to the protest rallies.

<img src='http://l.yimg.com/ki/epaper/jagran/20080805/09/jmu4jkcd30-c-3-1_1217908528_m.jpg' border='0' alt='user posted image' />

आस्था की बात हो तो घर नहीं बैठेंगे
जम्मू, जागरण संवाददाता :

जब आस्था और मूल अधिकारों की बात आ जाएं तो कौन चुप रह सकता है? इसका प्रमाण यही से मिल जाता है कि पश्चिमी सभ्यता को अपनाने की होड़ में लगी युवा पीढ़ी भी आज इस आग में कूद चुकी है। बम-बम भोले के जयघोष के बीच ये युवा प्रदर्शनों, रैलियों में बढ़-चढ़कर भाग ले रहे हैं। चाहे वो युवक हो या युवती हर कोई राज्यपाल व प्रशासन के रवैये पर आपत्ति जता रहा है। इससे साफ जाहिर है कि आस्था की यह लड़ाई पश्चिमी सभ्यता पर भी भारी पड़ने लगी है। आज जहां भारत के अन्य राज्यों में युवा कालेजों, स्कूलों में फ्रेंडशिप-डे मना रहे हैं वहीं जम्मू के युवा राज्य प्रशासन के खिलाफ सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं। इन युवाओं का कहना है कि यह आंदोलन केवल अमरनाथ भूमि को हासिल करने के लिए नहीं बल्कि जम्मू वासियों के अधिकारों को हासिल करने के लिए छेड़ा गया है। यही कारण है कि आज यह आंदोलन शहर व गांवों की गलियों से होकर लोगों के घरों तक पहुंच गया है। प्रशासन भी इस आवाज को सुनने और इसका हल निकालने के बजाय इसका गला घोटने के प्रयास में जुट गई है। लड़कियां किसी से कम नहीं हैं। वह भी रैलियों व प्रभातफेरियों में शामिल होकर अपने गुस्से का इजहार कर रही हैं। अभिभावक भी अपने बच्चों के इस जुनून को देखकर चिंतित नहीं बल्कि खुश हैं। उन्हें इस बात का फर्क है कि पश्चिमी सभ्यता को अपनाने वाले उनके बच्चे आज भी अपनी आस्था, संस्कृति और अपने हकों के प्रति इतने सजग हैं। युवा भी अब मानते हैं कि जम्मू के लोग इतने जागरूक हो चुके हैं कि वे अपनी नियती खुद तय करेंगे। आज जो हो रहा है वह मात्र जम्मू को फार ग्रांटिंड लेने का परिणाम है।
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#73
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#74
Jammy University Teachers Association joins the protests. Professors lead the protesters.

जुटा का संघर्ष समिति को समर्थन

जम्मू, हमारे संवाददाता : अमरनाथ भूमि को लेकर जम्मू संभाग जल रहा है और पुलिस और सेना की दमनकारी नीति के खिलाफ लगातार प्रदर्शन जारी है। पूरे संभाग के 50 से ज्यादा संगठनों ने बंद को अपना समर्थन देकर जोरदार विरोध कर रहे हैं। विरोध की इस कड़ी में जम्मू यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन भी संघर्ष समिति के समर्थन में सामने आ गई है। कैंपस बंद होने के बावजूद बढ़ी संख्या में यूनिवर्सिटी के प्रोफेसरों व लेक्चरारों ने बैठक की। जुटा के प्रधान एनके त्रिपाठी के नेतृत्व में अध्यापकों ने बम बम भोले, हम संघर्ष समिति के साथ है, जम्मू के साथ भेदभाव बंद करो, जमीन वापस करो, मीडिया पर हमले बंद करो के नारे लगाए और कैंपस का पूरा चक्कर लगाया। अध्यापकों ने कहा कि उनका संघर्ष समिति को पूरा समर्थन रहेगा और जमीन को वापस करके ही आंदोलन समाप्त हो सकता है। रैली में प्रो. नीरू शर्मा, प्रो. वीके कपूर, प्रो. केशव शर्मा, प्रो. अचर्ना केसर व अन्य शामिल हुए। बैठक को संबोधित करते हुए जुटा के प्रधान प्रो.एनके त्रिपाठी, प्रो.निर्मल सिंह ने कहा कि जम्मू के लोग अपने हक के लिए संघर्ष कर रहे हंै। यह आंदोलन अब थमने वाला नहीं है। प्रशासन जबरदस्ती आंदोलन को दबाने में लगा हुआ है और भूमि वापस लेने के बिना यह समाप्त नहीं होगा। इसी बीच शाम को कैंपस में अध्यापकों और नान टीचिंग कर्मचारियों की महिलाओं और बच्चों ने भी बम बम भोले के नारे लगाते हुए प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की।

<img src='http://l.yimg.com/ki/epaper/jagran/20080805/09/jmu4jkcd34-c-2-1_1217908526_m.jpg' border='0' alt='user posted image' />
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#75
<span style='color:red'>This is Shravan, the Month of Shiva. Millions of Bam Bam Bhole Chants in Jammu will not go in vain.</span>

सावन में शिव का इतना जाप कुछ फल मिलकर रहेगा
जम्मू, जागरण संवाददाता :

सावन का महीना और जम्मू की धरती पर बम बम भोले का लाखों में हो रहे जाप को ज्ञानी वर्ग कुछ शुभ होने का संकेत मान रहे हैं। शास्त्री लोगों का कहना है कि बम बम भोले का जाप अघोरी मंत्र में आता है और इस मंत्र का जम्मू क्षेत्र में इतना जाप हो गया है कि शिव भगवान को किसी न किसी रूप में आना होगा और भक्तों की अभिलाषा को पूरा करना ही होगा। धरने प्रदर्शन में जुटा जम्मू का हर बुजुर्ग, नौजवान, महिला और बच्चा बच्चा बम बम भोले का किसी न किसी तरह से जाप कर रहा है। शायद ही इतना जाप पिछले पचास सालों में हुआ हो। यह वही जाप है जिससे शिवजी भगवान जल्दी ही प्रसन्न हो जाते हैं। ऐसे में अगर यह जाप सावन के माह में किया जाए तो क्या बात। इस संबंध में प्रसिद्ध शास्त्री हरकेश तिवारी का कहना है कि सावन माह में भगवान शिव और मां पार्वती कैलाश पर्वत पर विराजमान होते हैं। ऐसे में महादेव की अपने भक्तों पर कृपालु दृष्टि बढ़ जाती हैं। शिवजी जल्दी ही अपने भक्तों की फरियाद सुन लेते हैं व दर्शन देते हैं। यही कारण है कि सावन माह में शिवजी की पूजा करना काफी शुभ समझा जाता है। पुरातन काल में ऋषि मुनि इसी मास के आने का इंतजार किया करते थे। इसी दौरान पूजा अर्चना का ज्यादा दौर चलता था। प्रसिद्ध शास्त्री हरकेश तिवारी का कहना है कि अब सावन ही मास चल रहा है और जम्मू क्षेत्र में लाखों में बम बम भोले का जाप हो गया है। अभी भी यह क्रम जारी है। इतना जाप पहले यहां पर कभी नही हुआ। कलयुग के इस दौर में इतना जाप होना, मायने रखता है। इसलिए जम्मू के लोगों के हित में कुछ शुभ काम जरूर होने वाला है । उन्होंने कहा कि शिवभक्ति कभी व्यर्थ नही गई। पुरातन काल में शिव की पूजा अर्चना में जुटे ऋषि मुनियों को राक्षस अक्सर परेशान कर उनकी पूजा को भंग करने का प्रयास करते थे। क्योंकि यह राक्षस जानते थे कि पूजा सफल होने के बाद शिवजी जो अपने भक्त को आशीर्वाद देंगे, वह उन पर काफी भारी होगा। पंडितों का कहना है कि यही कारण था कि कंस ने भी अपने पिता की शिव पूजा को पूरा नही होने दिया था और कई ऋषि मुनियों को जेल में डाल दिया था।
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#76
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Due to protests and strike the pilgrims that are stranded were not getting anything to eat. Jammu locals are also running Langars for outsiders where Food and Medicine etc are provided to the pilgrims. As the locals themselves have too less to eat, the Langars serve only Salt and Rice. The pilgrims are not complaining, rather supporting the Jammu protesters.
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#77
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Family of another youth Killed in Police Firing.
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#78
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Army guarding the Highway.
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#79
villagers of Ghau-brahmana village gathered at the local Shiva temple and resolved to free up the land of Amarnath shrine. They solemnized the resolve by applying blood tilak to themselves by cutting their thumbs by a sword.

<span style='color:red'>खून का तिलक लगाकर लिया भूमि वापस दिलाने का संकल्प</span>
विजयपुर, संवाद सहयोगी : श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड को भूमि वापस दिलाने के लिए जारी आंदोलन को अंजाम तक पहुंचाने के लिए गांव घौ-ब्राह्मणा के लोगों ने तलवार से अपने अंगूठे का खून निकालकर माथे पर तिलक लगाकर शिव मंदिर में भोले शंकर को साक्षी मानकर अमरनाथ श्राइन बोर्ड को भूमि वापस दिलाने का संकल्प लिया। इनमें महिलाएं व युवा भी शामिल थे। सोमवार को गांव घौ-ब्राह्मणा के शिव मंदिर के प्रांगण में बड़ी संख्या में लोग एकत्रित हुए व बम-बम भोले के जयघोष लगाते हुए पूर्व सरपंच केशव दत्त शर्मा की अगुवाई में माथे पर अपने खून का तिलक लगाकर भगवान शंकर को साक्षी मानकर अमरनाथ श्राइन बोर्ड को भूमि वापस दिलाने का संकल्प लिया। लोगों ने शिव मंदिर में तलवार से अपने अंगूठे का खून निकाला व माथे पर तिलक लगाकर यह संकल्प लिया कि अमरनाथ श्राइन बोर्ड को भूमि वापस दिलाकर ही दम लेंगे। इस अवसर पर पूर्व सरपंच ने कहा कि श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड की जमीन वापस लेना हिन्दुओं का हक है।
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#80
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People chanting Bam Bam Bhole.

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