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Temples: History, Architecture & Distribution - 2
#16
<!--QuoteBegin-->QUOTE<!--QuoteEBegin--><span style='color:red'>Mrikula bhawani temple, Udaypur-Lahaul Himachal</span>

Apr 22, 11:38 am
<img src='http://in.yimg.com/news/jagran/20080422/06/18dha-1_1208845510_m.jpg' border='0' alt='user posted image' />
केलंग [अशोक राणा]। वह न पीसा की मीनार है और न विश्व का कोई दूसरा अचंभा। वह तो लाहुलियों की आस्था का केंद्र है जो अब धरोहर बनने के बावजूद उपेक्षित है। विभाग की 'कुंभकर्णी नींद' धरोहर के वजूद पर भारी पड़ने लगी है। मरम्मत के दावों के बावजूद बुनियाद में बुधवार को आई दरारों के बाद ऐतिहासिक व धार्मिक धरोहर ध्वस्त होने के कगार पर है। विभाग का सुस्त रवैया यूं ही रहा तो मंदिर कभी भी ढह सकता है। बात लाहुल के उदयपुर स्थित ऐतिहासिक मृकुला देवी मंदिर की हो रही है, जिसकी बुनियाद गहरी दरारों से हिल चुकी है।

पिछले दो वर्षो से मंदिर की हालत को लेकर प्रमुखता से खबरें छपती रही हैं, इसके बावजूद विभाग ने मामले को गंभीरता से लेने की कोशिश ही नहीं की। हालत इस कद्र बदतर हो चुकीहै कि मंदिर की समय रहते सुध नहीं ली गई तो रोहतांग खुलने तक मंदिर ध्वस्त हो सकता है। दुर्लभ काष्ठ कला व पुरातत्व महत्व की इस धरोहर का पूरा ढांचा दो अस्थाई स्तंभों पर टिका है तथा वर्तमान में मंदिर आगे की ओर 70 डिग्री झुक गया है, जिससे बुनियाद में आई करीब एक फुट चौड़ी दरारें साफ दिखने लगी हैं। मंदिर के झुकने से आस्था के इस केंद्र के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है। मंदिर की हालत बेहद जर्जर होने के कारण यहां तैनात पुजारी पूजा-पाठ से भी कतराने लगे हैं।

काठकुणी शैली में पांडवों द्वारा निर्मित इस ऐतिहासिक मंदिर के भीतर महाभारत और रामायण के संदर्भो को काष्ठकला से उकेरा गया है। मृकुला मंदिर के रखरखाव का जिम्मा भारतीय पुरातत्व विभाग के अधीन है, लेकिन विभाग की उपेक्षा व वक्त के थपेड़ों से आज यह मंदिर खंडहर में तबदील हो रहा है। पुजारी दुर्गा दास ने 'दैनिक जागरण' जागरण को दूरभाष पर बताया कि लकड़ी पर उकेरे गए भितिचित्र सड़ कर अब गिरने लगे हैं। पुजारी के मुताबिक मंदिर की जर्जर हालत को देखते हुए पूजा पाठ करना भी खतरनाक हो गया है। स्थिति से वाकिफ होने के बावजूद लाहुल प्रशासन पूरी तरह से असहाय है।

उधर, विभाग के निदेशक प्रेम कुमार शर्मा का कहना है कि विभाग मंदिर को लेकर पूरी तरह से गंभीर है तथा धरोहर को बचाने के लिए कई सालों से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। रोहतांग दर्रा खुलते ही विभाग के कर्मियों को उदयपुर रवाना कर दिया जाएगा। बहरहाल, धरोहर को बचाने के लिए विभागीय प्रयास समय पर फलीभूत नहीं हुए तो मंदिर के साथ-साथ बहुत कुछ दफन हो जाएगा, जिसकी क्षतिपूर्ति नहीं हो सकेगी।

http://in.jagran.yahoo.com/news/national/g..._1_4380863.html
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The ancient temple of mrikula bhawani, built by Pandavas during their vanavasa period as per the local traditions, is in a very bad repair. The temple is situated in th remote and less accessible udaypur of the snow clad Lahaul in Himachal Pradesh.

Built in the Kathkuni style, wooden carvings on the wall of the temple depicting scenes from Mahabharata and Ramayana are now fallimg apart one after the other, and the Pujari informs that some are now rotting, for the lack of care. The temple site is a declared heritage site and under ASI care. According to the Pujari, the central column of the temple is now bent by as much as 70* horizontally and is on the verge of collapse. The structure has been made to stand with support from two temporary columns. The foundation stones are all visible now and have cracks all over the foundation and walls. Performing the rituals is not free from the risk of being buried underneath. On the other hand the administration when contacted has said that nothing can be done until the Rohtang-Kelang passes open up making the site accessible, wheras the locals say that it would be too late by the time snow melts and passes become open (in another 4-6 weeks) and indeed the damage would be irreparable.

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Note that a set of similar ancient wooden temple dedicated to devi, revered by the greek-speaking tribals in Himachal, were burnt down earlier this year by forest fires, and by the time help could reach were reduced to rubble.
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Temples: History, Architecture &amp; Distribution - 2 - by Bodhi - 04-22-2008, 01:08 PM

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