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Amarnath Land Deal
<img src='http://l.yimg.com/ki/epaper/jagran/20080806/09/jmu5jaa-14-c-3-1_1217996632.jpg' border='0' alt='user posted image' />

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<span style='color:red'>Martyrs Bid Farewell with Thousands of Wet Eyes

Cremated with Full Decorations Wrapped in Tricolour in midst of chants.

Thousands Shouted 'Sanjeev Singh Amar Rahe', 'Sunny Padha Amar Rahe' as the Martyrs departed.

</span>

<img src='http://l.yimg.com/ki/epaper/jagran/20080806/09/jmu5jaa-6-c-3-1_1217996678.jpg' border='0' alt='user posted image' />

<img src='http://l.yimg.com/ki/epaper/jagran/20080806/09/jmu5jaa-9-c-3-1_1217996610.jpg' border='0' alt='user posted image' />

सांबा : तिरंगे में लिपटे शहीदों के शवों को नम आंखों से सांबा में हजारों लोगों ने श्रद्धांजलि दी। सांबा में शहीद हुए युवकों की जब शव यात्रा निकली तो पूरा आसमान संजीव सिंह अमर रहे, सन्नी पाधा अमर रहे के नारों से गूंज उठा। लोग जब तक सूर्य चांद रहेगा संजीव व सन्नी तेरा नाम रहेगा के नारे लग रहे थे। सोमवार को सांबा में तिरंगे लेकर शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे लोगों पर तैनात पुलिस कर्मियों व अधिकारियों ने पहले लाठीचार्ज, आंसू गैस के गोले और फिर गोलियां बरसाने से दो युवक शहीद हो गए थे और लगभग दर्जन भर घायल हो गए थे, जिनमें महिलाएं भी शामिल थीं। इस गोलीबारी में शहीद हुए संजीव सिंह पुत्र कैप्टन चंचल सिंह निवासी संगवाली मंडी व सन्नी पाधा पुत्र खेमराज का मंगलवार को पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया। संजीव सिंह का अंतिम संस्कार बसंतर श्मशान घाट पर जबकि सन्नी पाधा का अंतिम संस्कार देविका श्मशान घाट पर किया गया। शहीद संजीव सिंह की शव यात्रा मंडी संगवाली से निकली और फिर हरि सिंह चौक में लोगों ने दो घंटों तक शव रख श्रद्धांजलि दी। सांबा निवासियों की मांग थी कि जब तक राज्य के उच्च प्रशासनिक अधिकारी यहां नहीं पहुंचते तब तक वह शव को यहां से नहीं उठाएंगे। लोगों की मांग थी कि सरकार शहीद संजीव सिंह की पत्नी को सरकारी नौकरी दे और परिवार को दस लाख रुपये की आर्थिक सहायता उपलब्ध कराएं। ऐसे ही शहीद सन्नी पाधा के घर के एक सदस्य को सरकारी नौकरी व दस लाख रुपये दिए जाने की मांग की गई। लगभग दो घंटे तक हरि सिंह चौक में शहीद के शव को रखकर बैठे लोगों को श्री अमरनाथ संघर्ष समिति के प्रधान लीला करण ने बताया कि सुरक्षा कारणों से कोई भी उच्च अधिकारी सांबा नहीं पहुंच सकता। उन्होंने कहा कि अभी संघर्ष समिति के फंड का खाता नहीं खुला है परन्तु फिर भी संघर्ष समिति की ओर से सभी शहीदों को बराबर पैसा बांटा जाएगा। उन्होंने कहा कि उनकी हर संभव मदद की जाएगी। इस मौके पर श्री अमरनाथ संघर्ष समिति के प्रधान लीलाकर्ण, भाजपा के प्रदेश पूर्व प्रधान डा. निर्मल सिंह, प्रदेश उपप्रधान चंद्र प्रकाश गंगा, अमरनाथ संघर्ष समिति सांबा के सदस्य, बुद्धिजीवी व सभी मंडियों के लोग उपस्थित थे।
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<span style='color:red'>Martyr Sanjeev Singh is survived by wife Sapna and 7 year old son Abhay Pratap.

Father Chanchal Singh, a Retired Captain of Indian Army, says Sacrifice of Son would not go waste, Is proud that his young Son gave up his life for Dharma and Nation.

May Bhagwan Give Strength to the Bereaved Families.</span>

<img src='http://l.yimg.com/ki/epaper/jagran/20080806/09/jmu5jaa-10-c-2-1_1217996610.jpg' border='0' alt='user posted image' />

<span style='color:red'>मेरे बेटे का बलिदान बेकार नहीं जाएगा</span>

सांबा, संवाद सहयोगी : सांबा की मंडी संगवाली के शहीद संजीव सिंह के पिता कैप्टन चंचल सिंह ने कहा कि उनके बेटे ने देश की खातिर अपना बलिदान दिया है और उसका बलिदान बेकार नहीं जाएगा। कैप्टन चंचल सिंह ने कहा कि जब किसी का बेटा मरता है तो कमर टूट जाती है, जीने का कोई मकसद नहीं रहता। इसका दर्द उन्होंने सहा है। उन्होंने कहा कि उनके बेटे ने शहादत का जाम पिया है और उन्हें गर्व है कि धर्म व देश की खातिर उसने अपनी जान दी। उन्होंने कहा कि जिस जमीन की लड़ाई की खातिर उनका बेटा शहीद हुआ, उसे हर हाल में वापस मिलना चाहिए। विदित रहे कि सोमवार को सांबा में श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड की जमीन वापस देने की मांग को लेकर शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पुलिस द्वारा चलाई गई गोली में दो युवक संजीव सिंह व सन्नी पाधा शहीद हो गए थे।


Wife Sapna is inconsolable.

<img src='http://l.yimg.com/ki/epaper/jagran/20080806/09/jmu5jaa-8-c-3-1_1217996611.jpg' border='0' alt='user posted image' />

<span style='color:red'>अधूरा रह गया जीवनभर साथ निभाने का सपना</span>
सांबा, संवाद सहयोगी :

मंडी संगवाली निवासी शहीद संजीव और उनकी पत्नी सपना ने जो जीवनभर साथ निभाने के सपने संजोए थे, वह एक ही झटके में चकनाचूर हो गए। संजीव और सपना की शादी आठ वर्ष पूर्व हुई थी। उनका एक सात वर्षीय बेटा अभय प्रताप सिंह भी है। सभी अपने परिवार में हंसी खुशी रह रहे थे। भूमि के लिए प्रदर्शन कर रहे लोगों पर सोमवार को पुलिस द्वारा बरपाए गए कहर ने संजीव को हमेशा के लिए खामोश कर दिया। संजीव की शहादत की खबर सुनने के साथ ही सपना बेहोश हो गई। वह जब-जब होश में आती तो उसकी चीखो-पुकार पूरे क्षेत्र को झकझोर जाती थी।

<img src='http://l.yimg.com/ki/epaper/jagran/20080806/09/jmu5jaa-7-c-3-1_1217996610.jpg' border='0' alt='user posted image' />
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Injured Policemen:

घायल पुलिस कर्मी चौकी इंचार्ज ज्यौडि़यां बलविंद्र सिंह, फकीर सिंह, थोड़ राम, किरण कुमार, अनिरुद्ध, गुलाम मोहम्मद, फिरोज गुलजार, यासिर अहमद, मो. रफीक, मोहम्मद यासिर, जाहिद मोहम्मद, जफर जावेद, मोहम्मद जाहिद रसूल।

9 are Muslims, 5 Hindus!!!! Is J&K Police mostly filled by Muslims?
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Critically Injured Protesters include: पवन सिंह पुत्र फकीर सिंह निवासी त्रोटी ज्यौडि़यां, निजी चैनल के कैमरामेन सतपाल और रमन शर्मा, अशोक कुमार, पूर्णचंद, ओमप्रकाश, विजय कुमार, संजय कुमार, शाम लाल, धीरज कुमार, राकेश कुमार, सीता देवी, जीवन कुमार, विजय कुमार, आकाश, राजेंद्र सिंह, जोगिंद्र सिंह और बलवान सिंह।

<img src='http://l.yimg.com/ki/epaper/jagran/20080806/09/jmu5jkcd21-c-2-1_1217996617.jpg' border='0' alt='user posted image' />

<img src='http://l.yimg.com/ki/epaper/jagran/20080806/09/jmu5jkcd03-c-2-1_1217996617.jpg' border='0' alt='user posted image' />
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<img src='http://l.yimg.com/ki/epaper/jagran/20080806/09/jmu5jkcd28-1_1217996678.jpg' border='0' alt='user posted image' />

<img src='http://l.yimg.com/ki/epaper/jagran/20080806/09/jmu5jkcd29-1_1217996678_m.jpg' border='0' alt='user posted image' />

When the news of Two more Deaths reached Ghagwal, angered crowds destroyed the railway tracks. Police was present but, terrified, shocked and outnumbered they fled from the scene. They also damaged a Military Supplies Train standing there.

हीरानगर/कठुआ, जागरण टीम : सांबा में अमरनाथ श्राइन बोर्ड को जमीन लौटाने की मांग कर रहे आंदोलनकारियों पर पुलिस द्वारा गोलियां बरसाए जाने से भड़के घगवाल क्षेत्र के लोगों ने मंगलवार को घगवाल रेलवे स्टेशन पर पटरी उखाड़कर एक किलोमीटर लंबी रेल लाइन को क्षतिग्रस्त कर दिया। इसके कारण जम्मू आने-जाने वाली सभी ट्रेनों का परिचालन प्रभावित हो गया है। मंगलवार सुबह करीब साढे़ दस बजे घगवाल क्षेत्र के आसपास के हजारों लोग स्टेशन पर जमा हो गए और देखते ही देखते रेल पटरी को उखाड़ना शुरू कर दिया। इनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। लोगों ने लोहे के राड और हथौड़े लेकर एक किलोमीटर क्षेत्र में रेल पटरी के काबले बदलने वाले बाक्स भी तोड़ डाले। इसके अलावा भीड़ ने डाउन एमटी स्टाक स्पेशल ट्रेन को भी नुकसान पहुंचाया। घटना के समय पुलिस और सीआरपीएफ का कोई भी जवान वहां मौजूद नहीं था। स्टेशन पर तैनात रेलवे पुलिस के जवान दस-पंद्रह हजार लोगों की क्रुद्ध भीड़ देखकर कुछ करने का साहस नहीं जुटा सके। घटना की सूचना मिलते ही रेलवे प्रशासन ने जम्मू व पठानकोट से आने वाली ट्रेनों को पीछे ही रोक दिया। रेल पटरी उखाड़ने के बाद लोग आने घरों को लौट गए। गौरतलब है कि घगवाल क्षेत्र के लोग जमीन वापसी की मांग को लेकर काफी दिन से प्रदर्शन कर रहे थे। सेना तैनाती के बावजूद प्रतिदिन सैकड़ों लोग राष्ट्रीय राजमार्ग पर धरना-प्रदर्शन करते आ रहे थे। सांबा की घटना ने लोगों में नया जोश भर दिया।
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Tanker Operators of Jammu refuse to send Petrol to Kashmir Valley. After failing to dispatch the planned 200 tankers last day, Police Forcibly dispatched 40 Tankers from Jammu.

घाटी के लिए जबरन भेजे गए 40 टैंकर
जम्मू, कार्यालय संवाददाता : सोमवार को 200 टैंकर घाटी भेजने में विफल रहने के बाद मंगलवार सुबह पुलिस ने सख्त रवैया अपनाते हुए सेना के एस्कार्ट के साथ घाटी के लिए 40 टैंकर रवाना किए। जानकारी के अनुसार सोमवार रात को ही पुलिस ने नरवाल आयल डिपो के बाहर खड़े 40 टैंकरों में जबरन पेट्रोल और डीजल की लोडिंग करवाकर उसे मंगलवार सुबह घाटी के लिए कड़ी सुरक्षा के बीच रवाना किया। हालांकि टैंकर चालकों ने पुलिस की इस कार्रवाई का कड़ा विरोध भी किया, लेकिन डंडे के आगे उनकी भी नहीं चली। जेएंडके टैंक आनर्स एसोसिएशन के प्रधान आनन शर्मा के अनुसार सुबह 10 टैंकरों में आईओसी, एचपीसी और बीपी डिपो से लोडिंग करवाई गई। इसका उन्होंने विरोध भी किया, लेकिन पुलिस के जवानों ने उन पर बलप्रयोग करते हुए वहां से खदेड़ दिया। गौरतलब है कि प्रशासन ने पिछले पांच दिनों में 150 टैंकरों को जबरन घाटी के लिए रवाना किया।
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<span style='color:red'>As nobody has any money Left, Jammu Traders Association comes forward to declare that Shop Owners will sell everything on credit to people, but will not let the movement die. Association will self-regulate the prices of commodities. Says have enough supplies for 3 months even if Army besieges the 4 districts. No purchase of fruits from Valley, will import from Himachal.

People are now sharing all ration and commodities among community.</span>
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<!--QuoteBegin-Bodhi+Aug 6 2008, 11:05 AM-->QUOTE(Bodhi @ Aug 6 2008, 11:05 AM)<!--QuoteEBegin-->Injured Policemen:

घायल पुलिस कर्मी चौकी इंचार्ज ज्यौडि़यां बलविंद्र सिंह, फकीर सिंह, थोड़ राम, किरण कुमार, अनिरुद्ध, गुलाम मोहम्मद, फिरोज गुलजार, यासिर अहमद, मो. रफीक, मोहम्मद यासिर, जाहिद मोहम्मद, जफर जावेद, मोहम्मद जाहिद रसूल।

9 are Muslims, 5 Hindus!!!!  Is J&K Police mostly filled by Muslims?
[right][snapback]85892[/snapback][/right]
<!--QuoteEnd--><!--QuoteEEnd-->


Yes

The civil service is 90% valley muslims
Hindus, Shias, buddhists and Jammu muslims are screwed
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<span style='color:red'>Sangharsha Samiti's Response to PM's All Party Meeting:</span>

<span style='font-size:21pt;line-height:100%'>WE DON'T CARE.

Return the Land. Period.</span>

केंद्र का फैसला मानने को बाध्य नहीं समिति
जम्मू : श्री अमरनाथ संघर्ष समिति ने कहा है कि प्रधानमंत्री की सर्वदलीय बैठक में होने वाले फैसले को मानने के लिए समिति पाबंद नहीं है। समिति को प्रधानमंत्री की बुधवार को नई दिल्ली में होने वाली बैठक में बुलाया नहीं गया है। समिति के संयोजक लीला करण शर्मा, तिलक राज शर्मा और ब्रिगेडियर सुचेत सिंह ने गीता भवन में मंगलवार शाम पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि यह अच्छी बात है कि केंद्र सरकार गहरी नींद से जागी है और मसले के समाधान के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई गई है। अगर सरकार कोई फैसला करती है तो इस पर समिति विचार-विमर्श करेगी, लेकिन जरूरी नहीं है इस फैसले को समिति को मानने के लिए बाध्य हो जाए।
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Don't expect anything from Moron Singh, send him sack of money he will wake up.
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Tarun Vijay's article in Jagran

उपेक्षित और असहाय जम्मू

एक माह से जम्मू दहक रहा है। सेना की गश्त, गोलीबारी, क‌र्फ्य के बीच गूंजते असंतोष के स्वर। आखिर भारत में देशभक्ति की कीमत घर से उजड़ना या जान देना क्यों हैं? पहले कश्मीरी पंडितों को सिर्फ इसलिए घर से निकाल बाहर किया गया, क्योंकि वे तिरंगे के प्रति निष्ठावान थे। इससे पहले जून 1953 को श्यामा प्रसाद मुखर्जी की श्रीनगर शासन के अंतर्गत रहस्यमय परिस्थितियों में मृत्यु घोषित कर दी गई, क्योंकि वे कश्मीर में देशभक्ति का जज्बा बुलंद कर रहे थे। वे कहते थे कि जम्मू-कश्मीर में सिर्फ तिरंगा रहेगा और कोई झंडा नहीं। इस साल 23 जुलाई को 35 वर्र्षीय कुलदीप कुमार डोगरा ने देशभक्ति की आवाज बुलंद करते हुए अपनी जान दे दी। इस तरह जान देना अस्वीकार्य है, लेकिन कुलदीप के आत्मोसर्ग ने हिंदू हनन में सेक्युलर भूमिका को उजागर किया और जम्मू में एक अभूतपूर्व विरोध की लहर पैदा कर दी। कुलदीप डोगरा की देह जम्मू कश्मीर पुलिस जबरदस्ती उठा ले गई और सुबह ढाई बजे शराब तथा टायर डालकर जलाने का प्रयास किया तो उसके गांव के लोग आ गए। आखिरकार कुलदीप की देह घरवालों को सौंपी गई। क्या मानवाधिकार वाले सिर्फ आतंकियों के अधिकारों पर बोलने का ठेका लिए हैं? जम्मू कश्मीर सरकार भारत की है या अन्य देश की? आखिर शेष देश में इसकी क्या प्रतिध्वनि हुई? ऐसा लगता है हमारी भारतीयता का समग्र फलक ही चटकने लगा है। कश्मीर के पांच लाख शरणार्थी अभी भी अपने देश में बेघर और अनाथ जैसे घूम रहे हैं। जम्मू का दृश्य बयान करना बहुत कठिन है। जो सड़कें तीर्थ यात्रियों और स्थानीय नागरिकों के आवागमन और काम-काज से भरी हुआ करती थीं आज वहां मीलों दूर तक भांय-भांय करता दहशत भरा सन्नाटा पसरा हुआ है।

सैनिकों के बूटों की खट-खट आवाज कहीं-कहीं सन्नाटे को तोड़ती है। घरों में आटा नहीं है, चावल नहीं है, पानी नहीं है। खाना बनाना तक मुश्किल हो गया है। रोजमर्रा का सामान नहीं मिल रहा है। मुहल्लों के भीतर जाने पर सिर्फ फुसफुसाहटें सुनाई देती हैं। जम्मू के नागरिक अब घर में भी जोर से बोलना मानो भूल गए हैं। बाजार बंद हैं, दिलों में मातम है। सब एक सवाल पूछ रहे हैं कि जम्मू कश्मीर हिंदुस्तान का है या नहीं? अगर है तो वहां आज भी दो झंडे क्यों लहराए जाते हैं? आखिर क्यों भारतीय तीर्थ यात्रियों के लिए वह जमीन नहीं दी गई जो बंजर थी और जहां घास का एक तिनका भी नहीं उगता। इसे स्वयं जम्मू कश्मीर सरकार ने उच्च न्यायालय के निर्देश पर अमरनाथ श्राइन बोर्ड को स्थानांतरित किया था। इस जमीन पर कोई स्थायी रूप से रहने वाला नहीं था। इस जमीन का उपयोग वर्ष में सिर्फ दो महीने के लिए होने वाला था और इसका लाभ स्थानीय कश्मीरी नागरिकों को मिलने वाला था? जम्मू कश्मीर में हिंदुओं के दो बड़े तीर्थ स्थान हैं-माता वैष्णो देवी और अमरनाथजी। इन दोनों यात्राओं पर हर वर्ष करीब 70 लाख से अधिक तीर्थ यात्री जाते हैं। वे रास्ते में करोड़ों रुपये खर्च करते हैं। इसका पूरा लाभ जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था को होता है। जिहादियों के कारण जम्मू कश्मीर में पर्यटक आने वैसे ही कम हो गए हैं। अगर हिंदू तीर्थ यात्री जम्मू कश्मीर न आएं तो वहां की सारी अर्थव्यवस्था ठप्प हो सकती है। अभी भी जम्मू-कश्मीर को शेष देश को मिलने वाले अनुदानों से औसतन दस गुना ज्यादा अनुदान और सहायता मिलती है। अपनी हर गलती का दोष वह भारत सरकार पर थोपते हैं यानी खाना भी हमारा और गुर्राना भी हम पर।

पूरी रियासत के तीन हिस्से हैं-जम्मू, घाटी और लद्दाख। श्रीनगर के राजनेता न केवल अनुदान का अधिकांश हिस्सा सबसे छोटे भाग और सबसे कम जनसंख्या पर खर्च करते हैं,बल्कि जम्मू और लद्दाख के नागरिकों के साथ भेदभाव भी करते हैं। जम्मू कश्मीर का कुल वैधानिक क्षेत्रफल 222236 वर्ग किलोमीटर है। इसमें से 78114 वर्ग किमी पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है और 37555 वर्ग किमी चीन ने कब्जाया हुआ है। लद्दाख का क्षेत्रफल 59211 वर्ग किमी और जम्मू का 26293 वर्ग किमी है। घाटी का क्षेत्रफल है 15833 वर्ग किमी। 1963 में पाकिस्तान ने अवैध कब्जे के कश्मीर में से 5180 वर्ग किमी चीन को भेंट दे दिया था। क्या आपने कभी सुना है कि कश्मीर के उन जाबांज नेताओं ने जो हिंदू तीर्थ यात्रियों को एक इंच जमीन भी न देने के लिए अराजकता फैला देते हैं, पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर को वापस लेने के लिए धरना या प्रदर्शन दिया हो? हजारों वर्ग किमी जमीन पाकिस्तान के कब्जे में चली जाए तो उस पर खामोश रहना और हिंदू तीर्थ यात्रियों के लिए जमीन देने पर जान की बाजी लगाने की धमकियां देना किस मानसिकता का द्योतक है? जम्मू और कश्मीर घाटी में लगभग बराबर की संख्या में मतदाता हैं, लेकिन जम्मू को सिर्फ दो लोकसभा सीट दी गई हंै और घाटी को तीन। पूरे राज्य की आय का 70 प्रतिशत से अधिक जम्मू से मिलने वाले राजस्व से प्राप्त होता है और घाटी से लगभग 30 प्रतिशत, लेकिन खर्च करते समय जम्मू पर कुल राजस्व का 30 प्रतिशत खर्च किया जाता है और घाटी पर 70 प्रतिशत। लद्दाख के साथ श्रीनगर के शासकों का भेदभाव सीमातिक्रमण कर गया है। लद्दाख बौद्ध संघ ने केंद्र को ऐसे दर्जनों ज्ञापन दिए जिनमें लद्दाख के बौद्ध युवकों को परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद भी कश्मीरी प्रशासनिक सेवा में न लेने, मेडिकल, इंजीनियरिंग कालेज में दाखिला न देने जैसे भेदभाव के अनेक आरोप लगाए।

सच यह है कि योजनाबद्ध तरीके से लेह के बौद्ध समाज को अल्पमत में किए जाने का षड्यंत्र चल रहा है। वास्तव में पूरे प्रदेश में ही भारत लगातार सिकुड़ता गया है। यह परिस्थिति दिल्ली के रीढ़हीन शासकों द्वारा पनपाई और बढ़ाई गई है। जम्मू कश्मीर भारत मा का भाल है। वहां का दर्द भारत का दर्द है। यदि हम वहां का दर्द नहीं महसूस करेंगे तो शेष भारत में भी बंटवारे के बीज फैलेंगे।

(लेखक वरिष्ठ स्तंभकार हैं)
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<span style='color:red'>Meanwhile Supplies to Kashmir Jammed in Punjab itself.

Activists are very precise in attacks on Valley-bound trucks on the NH in Punjab control.

Punjab Police is not offering much resistance, just bystanding and watching even though a 1000-strong force deployed on Highway!!!</span>

पंजाब के हिंदू संगठनों ने ठप की ट्रकों की आवाजाही
जासं, पठानकोट : श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड से जमीन वापस लिए जाने के विरोध में जम्मू में हिंदू संगठनों की ओर से शुरू किए गए आंदोलन ने मंगलवार को पंजाब और जम्मू की सीमा पर जोर पकड़ लिया। हिंदू संगठनों ने माधोपुर में मंगलवार को भी दिन भर धरना जारी रखा तथा बैरियर से किसी भी वाहन का आवागमन नहीं होने दिया। इस बीच पिछले कई दिनों से एक ट्रक ने जब जम्मू की सीमा में प्रवेश करने का प्रयास किया तो पुलिस की मौजूदगी में हिंदू कार्यकर्ताओं ने उसे तोड़ दिया। जिला भाजपा के महासचिव विभू शर्मा ने पुलिस-प्रशासन व केंद्र तथा पंजाब सरकार को चेतावनी दी कि जम्मू-कश्मीर सरकार की अगर किसी भी सूरत में हिमायत की गई तो उसका डट कर विरोध किया जाएगा।

किसी भी तरह की तोड़-फोड़, आगजनी के लिए पुलिस व सरकारें ही जिम्मेदार होंगी। इसी प्रकार जम्मू से वाया नगरी लिंक मार्ग के जरिए कथलौर पुल से होते हुए पंजाब में घुसने वाले ट्रकों को रोकने की ड््यूटी जिलाध्यक्ष सतीश महाजन ने संभाली। दूसरी तरफ पुलिस के संरक्षण में सोमवार देर रात कुछ ट्रकों का आवागमन नेशनल हाई-वे पर किया गया। इस गलती से सबक लेते हुए हिंदू संगठनों ने नई रणनीति के तहत विभू शर्मा को जहां चौबीस घंटों के लिए माधोपुर बैरियर पर बिठा दिया वहीं पंजाब के विभिन्न जिलों से संबंधित हिंदू संगठनों को इस नाके पर ड्यूटी देने के लिए निर्देश भी दे दिए गए। इसके तहत मंगलवार देर शाम तरनतारन, अमृतसर, कपूरथला व बटाला से बजरंग दल के सैकड़ों कार्यकर्ता बैरियर पर पहुंच गए। मंगलवार की रात ट्रकों का आवागमन पूरी तरह से बाधित होने की आशंका से इलाके में तनाव बढ़ गया है। इस बीच, पंजाब सरकार ने किसी भी सूरत में उक्त बैरियर से अवरोध हटाने के लिए कहा है। दूसरी तरफ हलके के भाजपा विधायक दिनेश सिंह बब्बू ने मंगलवार को एक बार फिर धरने- प्रदर्शन व रोड बाधित करने को जायज ठहराते हुए कहा कि यह जन- भावनाओं का विषय है। कार्यकर्ताओं के आक्रामक तेवर को देखते हुए पुलिस के हाथ-पांव फूल गए हैं। एसएसपी गुरदासपुर लोक नाथ आंगरा ने जहां मौके पर ही डेरा लगा लिया है वहीं दो एसपी, चार डीएसपी, दस एचएचओ के अतिरिक्त करीब एक हजार पुलिस कर्मचारियों की ड्यूटी लगा दी गई है। प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे विभू शर्मा ने कहा कि उनका विरोध सिर्फ माल ढोने में लगे ट्रकों से है। उन्होंने कहा कि यात्री बसों, कारों अथवा धार्मिक यात्रियों का आवागमन बाधित नहीं है।
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<!--QuoteBegin-->QUOTE<!--QuoteEBegin-->http://www.eenadu.net/breakhtml3.asp<!--QuoteEnd--><!--QuoteEEnd-->
All-Party conference in New Delhi called by PM Manmohan Singh over the worsening situation in JK, all party leaders were invited. In addition to National parties, regional parties such as PCP, National Conference were also invited. Congress President, Sonia Gandhi, BJP President Rajnath Singh, and other party leaders will also attend. In light of this, Hurriyat has called for a Kashmir wide bandh in protest.
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GS: <!--QuoteBegin-->QUOTE<!--QuoteEBegin-->The civil service is 90% valley muslims
Hindus, Shias, buddhists and Jammu muslims are screwed <!--QuoteEnd--><!--QuoteEEnd-->
The people who have started this fire have Hindu sounding names - that modern day Nero called Vohra for one. Rest of their masters with Hindu sounding names are delivering secular bhashan while sipping chai in distant Delhi. They are the real culprits.
It's easy to get caught up in emotion and stereotype communities versus individuals.
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Kashmiri Pandits carry protest to Delhi
<!--QuoteBegin-->QUOTE<!--QuoteEBegin-->"This is a dangerous game that some people are playing. Omar Abdullah should not forget that the land they call their own actually belongs to Maharaja Ranjit Singh and the Dogra Rajas Gulab Singh and Hari Singh. This land was taken aways from Kashmiri Pandits and Dogras and given to the Muslims. Abdullah said he is fighting for his land and he would not give an inch of the land to the Hindus. He should remember that Duryodhan also made a similar statement and the whole family perished in the battle which Pandavas went on to win," Kiran said.<!--QuoteEnd--><!--QuoteEEnd-->
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I think Jammu is the first shot against pseudo-secularism in India. Would say it took two decades after end of Cold War(1988) due to the lag effect of the Leftist control of media mind space. To be honst it couldnt have happened anywhere else in India or it would be suppressed fiercely. The plight of the Jammu residents is too blatant that their protest cant be brushed aside. Lets see where this leads. Just as Jallianwala was a shot for India's freedom maybe this will lead to true freedom from fake ideologies. Media fools are already dubbing it Hindu intefada which is moronic.
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<!--QuoteBegin-Viren+Aug 6 2008, 07:32 PM-->QUOTE(Viren @ Aug 6 2008, 07:32 PM)<!--QuoteEBegin-->GS: <!--QuoteBegin--><div class='quotetop'>QUOTE<!--QuoteEBegin-->The civil service is 90% valley muslims
Hindus, Shias, buddhists and Jammu muslims are screwed <!--QuoteEnd--><!--QuoteEEnd-->
The people who have started this fire have Hindu sounding names - that modern day Nero called Vohra for one. Rest of their masters with Hindu sounding names are delivering secular bhashan while sipping chai in distant Delhi. They are the real culprits.
It's easy to get caught up in emotion and stereotype communities versus individuals.
[right][snapback]85918[/snapback][/right]
<!--QuoteEnd--></div><!--QuoteEEnd-->


I absolutely agree
The root cause villains are the psecs

Without the psecs giving cover, the islamists cant do anything
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<!--QuoteBegin-->QUOTE<!--QuoteEBegin-->Just as Jallianwala was a shot for India's freedom maybe this will lead to true freedom from fake ideologies.<!--QuoteEnd--><!--QuoteEEnd-->
Ramana, from your lips to gods ears.
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