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Amarnath Land Deal
<span style='color:red'>We Are With Hindus. Muslims of Jammu form Jammu Muslim Front and Jump into Protests. Stand Upto Separatist Islamists of the Valley. Front Denies the propoganda that Muslims of Hindu dominated areas are under any danger.

Other org Anjuman Ahl e Islam joins the protests too.</span>

<img src='http://l.yimg.com/ki/epaper/jagran/20080808/09/jmu7jkcd501-1_1218168545_m.jpg' border='0' alt='user posted image' />

कट्टरपंथियों के खिलाफ मुस्लिम फ्रंट जम्मू गठितजम्मू, हमारे प्रतिनिधि : कश्मीर में अलगाववादियों और कट्टरपंथियों के दुष्प्रचार का जवाब देने के लिए जम्मू का मुस्लिम समुदाय एकजुट हो गया है। गुज्जर समुदाय, जम्मू मुस्लिम फेडरेशन व दूसरे कई संगठनों, जो पहले ही अमरनाथ श्राइन बोर्ड की भूमि वापस लेने के लिए अमरनाथ संघर्ष समिति से कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं, ने मुस्लिम फ्रंट जम्मू का गठन किया। यह फ्रंट अलगाववादियों के दुष्प्रचार की असलियत दुनिया के सामने रखेगा। दूसरी ओर, अंजुमन अहल-ए-इस्लाम एसोसिएशन ने अपना पूरा समर्थन जम्मू को देने की घोषणा की है। मुस्लिम फ्रंट जम्मू के चीफ पैटर्न प्रो. जहूर-उद्दीन, पैटर्न हाजी अब्दुल गनी कोहली ने वीरवार को प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि जम्मू प्रांत हमेशा आपसी भाईचारे की मिसाल रहा है। जम्मू प्रांत में जिन स्थानों पर हिंदू समुदाय अल्पमत में हैं, वहां मुस्लिम समुदाय के लोग इनका ध्यान रखते हैं और जिन स्थानों पर मुस्लिम अल्पमत में हैं, वहां हिंदू इनकी रक्षा का पूरा ध्यान रखते हैं।
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Jammu Muslims had no choice because Kashmir Valley Muslims are papmered by everyone and they behave like a spoiled kids.
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http://earlytimes.in/

<!--QuoteBegin-->QUOTE<!--QuoteEBegin--><b>Army fears losing ‘popular image’ in Jammu</b>

Early Times Reporter
Jammu | Aug 7

With the deployment of troops to control the popular agitation on Amarnath land row, Army fears losing its highly regarded image among the people in Jammu region, who have a rich history of soldiering for their nation since time immemorial.
‘’Troops’ deployment for curbing agitation in Jammu could be counter-productive for the country as forces can lose support of locals who share information in anti-militancy operations. It may discourage young generation in joining the Defence forces,’’ a senior army officer dealing with internal law and order situation in the winter capital said on condition of anonymity.
Army, which is fighting militancy in the state and manning the Line of Control (LoC), has been called out to meet the situation in the curfew-bound Jammu region, which is witnessing a mass movement for restoration of forest land to the Shri Amarnath Shrine Board (SASB) in south Kashmir.<!--QuoteEnd--><!--QuoteEEnd-->
<!--QuoteBegin-->QUOTE<!--QuoteEBegin-->Citing a picture of a girl in a procession published in a newspaper, Col Sahi said, ‘’No soldier can react with bullet on seeing this little girl holding a flag in her one hand and a flower in the other. But he (soldier) is always bound to obey the orders which are given to the Army.’’<!--QuoteEnd--><!--QuoteEEnd-->
<!--QuoteBegin-->QUOTE<!--QuoteEBegin-->Despite Defence Minister A K Antony’s declaration that Army should not be made ‘’an extended paramilitary force,’’ troops were deployed in Jammu to tackle a serious prolonged agitation over the Amarnath land row.<!--QuoteEnd--><!--QuoteEEnd-->



From same paper


<!--QuoteBegin-->QUOTE<!--QuoteEBegin--><b>Bhim Singh’s hospitalized, fast unto death enters day 4</b>

Bhim Singh chairman of JKNPP, who has been observing fast unto death for the last four days in the winter capital in support of the demand of restoration of land to SASB has been hospitalized following his condition suddenly deteriorating today and he was rushed to GMC Hospital. A team of doctors examining him reported his condition to be critical. The Doctors attending on him including the Medical Superintendent GMC Jammu said Singh suffered from High Blood Pressure and his ECG was also abnormal and certain changes were noticed in the same which required further examination.<!--QuoteEnd--><!--QuoteEEnd-->



Any national channel or paper reporting about Bhim Singh?
I guess that terrorist yasin Malik is more human than "Hindu" Bhim Singh.
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<img src='http://l.yimg.com/ki/epaper/jagran/20080808/09/jmu7kth9-c-3-1_1218168640_m.jpg' border='0' alt='user posted image' />

<img src='http://l.yimg.com/ki/epaper/jagran/20080808/09/jmu7kth11-c-3-1_1218168640_m.jpg' border='0' alt='user posted image' />

<img src='http://l.yimg.com/ki/epaper/jagran/20080808/09/jmu7kth8-c-2-1_1218168639_m.jpg' border='0' alt='user posted image' />

<span style='color:red'>Wrapped in Tricolour the Body of Martyr Narendra Sharma Cremated amid the Shouts of 'Vande Matram'. Survived by son Ritam and wife Rama. Whole district of Kathua in mourning today.</span>

सितारा बनकर प्रेरणा देता रहेगा नरेंद्र

कठुआ, जागरण संवाददाता : अमरनाथ श्राइन बोर्ड को जमीन वापस दिलवाने के लिए जारी आंदोलन में शहीद हुए नरेंद्र शर्मा का शव वीरवार को पंचतत्व में विलिन हो गया। जब तक सूरज चांद रहेगा, नरेंद्र शर्मा का नाम रहेगा, नरेंद्र शर्मा अमर रहे, वंदे मातरम् आदि की जयघोष के बीच हजारों लोगों ने नम आंखों से शहीद को अंतिम विदाई दी। शहीद नरेंद्र शर्मा के जखबड़ स्थित गांव में अंतिम संस्कार में भाग लेने पहुंचा जन सैलाब यह साबित कर रहा था कि जो देश और धर्म के लिए अपनी प्राणों की आहुति देते हैं, उनकी चिताओं पर इसी तरह से मेले लगते हैं। तिरंगे में लिपटे शव को जब उनके बड़े बेटे पांच वर्षीय रितम ने मुखाग्नि दी तो माहौल और गमगीन हो गया। अंतिम संस्कार में भाग लेने वालों में पूर्व केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री प्रो. चमन लाल गुप्ता, प्रदेश भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रो. निर्मल सिंह, भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष शमशेर सिंह मन्हास, जम्मू से संघर्ष समिति के सदस्य सेवानिवृत्त बिग्रेडियर सुचेत सिंह, केके परोच, हेमराज खजुरिया, जिला संघर्ष समिति के संयोजक सुरेंद्र बजाज, नगर संयोजक शशी शर्मा, दिवाकर शर्मा, संदीप सिंह, भाजपा के सांईदास गुप्ता, डा. नरेंद्र सिंह जसरोटिया, दिलीप मेहता, पे्रम नाथ डोगरा, जनक भारती, डा. सुदर्शन गुप्ता, रमेश गुप्ता, विद्या सागर, विशन भारती, हरिदत्त शिशू, पूर्व नप प्रधान नरेश शर्मा, योग राज शर्मा, रवींद्र पठानियां, आईडी खजुरिया, नरेंद्र तांगड़ी, भारत भूषण, शिवनंदन, गुरुद्वारा कमेटी के जिला प्रधान चरणजीत सिंह, विजयपुर से यूथ प्रधान शिव गुप्ता व राजेंद्र कुमार सहित हजारों लोग शामिल थे।

इससे पहले जब तिरंगे में लिपटे शव को घर से अंतिम संस्कार के लिए ले जाने के लिए उठाया गया तो पूरे गांव की औरतें फूट-फूट कर रोने लगीं। शायद ही गांव का कोई सदस्य होगा जिसने नरेंद्र शर्मा की मौत का मातम नहीं मनाया होगा। इसके अलावा जिला के हीरानगर, चड़वाल, दियालाचक व घगवाल से सैकड़ों लोग शहीद को श्रद्धांजलि देने पहुंचे।

हालांकि जगह-जगह लगी सेना ने लोगों को काफी रोकने का प्रयास किया लेकिन सेना नरेंद्र शर्मा की मौत से गुस्साए लोगों को रोकने में सफल नहीं हो सके। इस मौके पर हरिदत्त शिशू ने संघर्ष समिति से जारी आंदोलन के चलते नरेंद्र की मौत की न्यायिक जांच कराने की मांग भी जोड़ देने की अपील की और परिवार के सदस्यों को उचित मुआवजा देने को कहा। जम्मू संघर्ष समिति के ब्रिगेडियर सुचेत सिंह ने कहा कि नरेंद्र की शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी। इससे जमीन के लिए जारी धर्म युद्ध ओर तेज होगा। उन्होंने कहा नरेंद्र शर्मा धर्म युद्ध में जम्मू प्रांत का आठवां शहीद है। उन्होंने कहा कि इसकी शहादत से बाबा अमरनाथ की जंग कमजोर नहीं बल्कि और तेज होगी। उन्होंने शहीद के परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि नरेंद्र हमेशा सितारा बनकर चमकता रहेगा और आंदोलनकारियों को प्रेरणा देता रहेगा। उधर, परिवार के सदस्यों और शहीद की पत्नी का विलाप देख वहां मौजूद लोगों का भी कलेजा फटा जा रहा था। बार-बार शव से लिपट कर विलाप करती रमा देवी को परिजन संभालते, लेकिन वह फिर बेहोश होकर पति के शव पर गिर जाती। अपने लाडले नरेंद्र की युवा अवस्था में हुई मौत का गम मां को न जाने कब तक सालता रहेगा।
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<span style='color:red'>Pawan Singh Loses Eye Sight. Was injured critically and hospitalized. He is the sole bread winner of a not so well to do family. </span>

<img src='http://l.yimg.com/ki/epaper/jagran/20080808/09/jmu7jkcd13-c-3-1_1218168644_m.jpg' border='0' alt='user posted image' />

अश्रु गैस ने छीनी आंखों की रोशनी
ज्यौडि़यां, संवाद सूत्र :

अमरनाथ श्राइन बोर्ड से भूमि वापस लेने के लिए जारी संघर्ष में जहां जम्मू के आठ नौजवानों ने अपने प्राणों की आहुति दीं, वहीं ज्यौडि़यां में पुलिस द्वारा दागे गए आंसू गैस के गोले ने एक परिवार की जिंदगी में हमेशा के लिए अंधेरा कर दिया। मंगलवार को ज्यौडि़यां में प्रदर्शन कर रहे लोगों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागने शुरू कर दिए। इसी दौरान एक गोला पवन सिंह पुत्र फकीर सिंह निवासी त्रोटी ज्यौडि़यां की आंखों पर लग गया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया। बाद में उसे गवर्नमेंट मेडिकल कालेज अस्पताल पहंुचाया गया, जहां उसका उपचार किया जा रहा है। डाक्टरों का कहना है कि आंखों पर गंभीर चोट लगने के कारण उसकी आंखों की रोशनी चली गई है। दूध बेचकर अपने परिवार का पालन-पोषण करने वाला पवन अपने परिवार में अकेला कमाने वाला है। उसके परिवार में बूढ़ी मां, मानसिक रूप से बीमार भाई, पत्नी और डेढ़ साल की एक बच्ची सहित उसकी बहन के दो बच्चों की जिम्मेदारी भी है, जिसकी मौत कुछ साल पहले हो गई थी। पवन के पास कमाई का एकमात्र साधन उसकी दो गायें हैं जिनका दूध बेचकर वह अपने परिवार के लिए दो वक्तकी रोटी का बंदोबस्त करता था। अब आंखों की रोशनी जाने से उसकी ही नही बल्कि पूरे परिवार का भविष्य अंधकारमय हो गया है। वहीं ज्यौडि़यां के लोगों का कहना है कि पुलिस ने बिना किसी वजह हमला कर दिया, जिससे पवन की आंखों की रोशनी चली गई। उन्होंने सरकार से इस गरीब परिवार की मदद करने की मांग की है।
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After Amarnath issue, a separate statehood to Jammu will be the next issue which would be taken up to crush the fangs of the anti-nationalists. Bifurcation not on communal lines, but the whole Jammu with all its districts would be demanded to be separate from Kashmir. As to the statement made by Hurriyat about 'giving two-and-half districts to Jammu', people angrily said that actually that is the number of districts in Kashmir that will be left with the anti-nationals after the bifurcation.

<span style='color:red'>अलग जम्मू राज्य ही देगा अलगाववादियों से छुटकारा</span>

जम्मू : अमरनाथ श्राइन बोर्ड की जमीन को लेकर जम्मू में भड़के जनाक्रोश से बौखलाए कश्मीरी कट्टरपंथी राज्य को सांप्रदायिकता के आधार पर बांटने की बातें करने लगे हैं। जबकि सचाई यह है कि जम्मू संभाग के सभी धर्मो के लोग एक हैं और वह पूरा जम्मू संभाग लेकर ही कश्मीरी अलगाववादियों से पीछा छुड़ाना चाहते हैं। जम्मू-कश्मीर कश्मीरी अलगाववादियों की जागीर नहीं है। यह पूरा राज्य डोगरों का है। यह डोगरों की दरिया दिली है कि वह कश्मीर को रावी से पीरपंचाल के उस पार का हिस्सा दे रहे हैं। जम्मू स्टेट फ्रंट के पदाधिकारियों ने वीरवार को संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए आरोप लगाया कि सर्वदलीय बैठक बुलाई तो जम्मू के बेकाबू और गंभीर हालात को देखते हुए गई थी, लेकिन इसमें भी कश्मीर को ही प्राथमिकता दी गई। बैठक में न तो जम्मू के किसी राजनेता और न ही जम्मू के किसी राजनीतिक दल को आमंत्रित किया गया। इतना ही नहीं अमरनाथ संघर्ष समिति के पदाधिकारियों को बुलाना भी गवारा नहीं किया गया। इससे साफ है कि केंद्र सरकार को इस बात की कोई चिंता नहीं है कि पिछले 40 दिनों से जल रहे जम्मू का क्या होगा? उन्हें कश्मीर के कट्टरपंथियों की चिंता सता रही है। केंद्र सरकार राज्यपाल एनएन वोहरा तक को नहीं हटाना चाहती। ऐसा राज्यपाल जो मनमर्जी के फैसले लेकर जम्मू की जनता को लगातार भटकाने का काम कर रहा है। 12 संगठनों के इस फ्रंट की प्रेस कांफ्रेंस में भाग लेने वालों में उदय चंद, राजेंद्र सिंह जम्वाल, राजीव चुन्नी, राम पाल शर्मा, स. बलवींद्र सिंह, इंद्रजीत खजूरिया, डा. रंदीप सिंह परिहार, राम रतन रैना, पुष्वींद्र सिंह, पवन सिंह मन्हास, गजन सिंह, संजीव मनमोत्रा एवं अन्य भी उपस्थित थे। सभी ने कहा कि उनका फ्रंट गठित तो अलग जम्मू राज्य के गठन के लिए किया गया है, लेकिन अभी अमरनाथ संघर्ष समिति के साथ मिल कर भूमि वापसी के लिए ही संघर्ष कर रहा है। यह फैसला होने के बाद ही फ्रंट कश्मीरी अलगाववादियों को बताएगा कि उन्हें ढ़ाई जिले लेने हैं या देने हैं।
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<span style='color:red'>Eight Youth Martyred So far.</span>
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People of Krishna Nagar shaving their heads in solidarity with the families of youth killed, and in protest.

<img src='http://l.yimg.com/ki/epaper/jagran/20080808/09/jmu7jkcd23-c-3-1.5_1218168655.jpg_m.5.jpg' border='0' alt='user posted image' />
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Since Army has fenced even the colony roads, and blocked all river/canal bridges to stop the gatherings from taking place -- people are jumping into riverines to cross over. Like Tavi river of yesterday, enthusiastic people crossed across through the Ranveer Canal today shouting Bam Bam Bhole.

<img src='http://l.yimg.com/ki/epaper/jagran/20080808/09/jmu7jkcd05-c-4-1_1218168653_m.jpg' border='0' alt='user posted image' />

जमीन वापस लेकर रहेंगे जम्मूवासी
जम्मू, संवाद सहयोगी : श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड को भूमि वापस दिलाने के लिए जम्मूवासी कोई भी सीमा लांघने को तैयार हैं। आंदोलनकारियों ने इस बात का पक्का सबूत एक बार फिर प्रशासन को दे दिया है। बुधवार को सेना के जवानों द्वारा रोकने पर आंदोलनकारियों ने जहां तवी पुल पार कर रैली निकाली थी, वहीं वीरवार को मुट्ठी क्षेत्र में सुरक्षाबलों द्वारा हाईवे पर जाने से रोकने पर प्रदर्शनकारी रणवीर कनाल लांघ गए। वहीं, शहर के विभिन्न इलाकों से हर रोज की तरह लोगों ने अपने घरों से बाहर आकर भूमि वापसी के लिए प्रदर्शन किया। उधर, सेना ने शहर की हर छोटी-बड़ी गली को तारबंदी कर सील कर दिया, जिससे लोगों को खासी परेशानी झेलनी पड़ी। मुट्ठी क्षेत्र में वीरवार दोपहर स्थानीय लोगों जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल थीं, ने बम-बम भोले, भारत माता की जय के नारे लगाते हुए रैली निकाली। सारे इलाके में घूमने के बाद लोग जम्मू-अखनूर हाईवे की ओर बढ़े। आंदोलनकारी जैसे ही मुट्ठी पुल के पास पहुंचे, पुलिस और सेना के जवानों ने उन्हें हाईवे की ओर जाने से मना कर दिया। इस पर आंदोलनकारियों का गुस्सा भड़क उठा। हालांकि उन्होंने शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन जारी रखा। बाद में सेना के जवानों ने आंदोलनकारियों को जबरन वापस धकेलना शुरू कर दिया पर लोगों का जुनून देखते ही बन रहा था। कुछ युवकों और महिलाओं ने पानी से भरी रणवीर कनाल में कूद कर उसे पार किया और हाईवे तक पहुंच गए। हाईवे पर पहुंच कर उन्होंने बम-बम भोले के नारे लगाए। इस पर सेना के जवानों ने उन्हें पकड़ लिया और पुल के पार ले आए। बाद में सभी व्यक्तियों को वहीं से वापस भेज दिया। उधर, कफ्र्यू के दौरान दी गई ढील में तालाब तिल्लो के लोगों ने घरों से बाहर आकर रैली निकाली, जो क्षेत्र के विभिन्न इलाकों से गुजरी। लोगों ने इस दौरान अमरनाथ श्राइन बोर्ड से छीनी गई भूमि को वापस देने के लिए नारेबाजी की। गंग्याल में भी रोज की तरह हजारों लोगों जिनमें महिला व बच्चे शामिल थे, ने रैली निकाल महबूबा मुफ्ती व उमर अब्दुल्ला का पुतला फूंका। रिहाड़ी क्षेत्र में भी सेना द्वारा हर गली को सील किए जाने के बावजूद लोगों ने कफ्र्यू की परवाह किए बिना रैली निकाली और एनएन वोहरा गो बैक के नारे लगाए। गांधी नगर के रामपुरा मोहल्ले में रहने वाले लोगों ने भी वीरवार शाम को रैली निकाल प्रशासन को तुरंत बालटाल में अमरनाथ श्राइन बोर्ड से छीनी गई भूमि वापस देने की मांग की। मुबारक मंडी से भी सैकड़ों लोगों ने रैली निकाली जो जैन बाजार, अप्पर बाजार व जुलाका मोहल्ला से होकर गुजरी। इस दौरान आंदोलनकारियों ने पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। त्रिकुटा नगर के लोगों ने भी बड़ी संख्या में एकत्रित होकर रैली निकाली। रैली में लोगों ने भजन-कीर्तन किया और बम-बम भोले के नारे लगाए। करण नगर के लोगों ने भी प्रशासन द्वारा भूमि छीनी जाने के विरुद्ध रैली निकाली और बिना शर्त भूमि वापस करने की मांग की। शहर के पॉश इलाके ग्रिन बेल्ट लेन के निवासियों ने हर रोज की तरह रैली निकाली। बाद में मोमबत्तियां जलाकर प्रशासन को जगाने का प्रयास किया। पुरानी मंडी में भी लोगों ने रैली निकाल गवर्नर का पुतला फूंका। बरनाई, पुरखू, गोमनासा, मिश्रीवाला, दोमाना, झीडी, दीयारन में भी लोगों ने कफ्र्यू की परवाह किए बिना रैलियां निकालीं। उधर, सेना ने शहर विशेषकर पुराने शहर की हर छोटी गली के बाहर तारबंदी कर दी। लोगों का कहना था कि सेना बीमार लोगों को अस्पताल एवं बुजुर्गो को दवा लाने के लिए बाहर नहीं आने दे रही है। सेना के जवान प्रशासन द्वारा जारी कफ्र्यू पास को स्वीकार नहीं कर रहे हैं और किसी को घरों से बाहर नहीं आने दे रहे हैं।

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<span style='color:red'>As the movement enters the 40th day, Jammu's Industry and Commerce has so far suffered the estimated losses of Rs 70,000 Crores.

However, Chambers of Commerce and Industries unanimously reiterates its support to the protests despite the losses. This is a little price to pay for regaining Self Respect and larger long term profits, Yashpal Gupta and other Industry Leaders of Jammu insist.</span>

<span style='color:red'>आंदोलन की आग में जला 70 हजार करोड़ का कारोबार</span>

जम्मू, विकास अबरोल श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड को 800 कनाल भूमि वापस दिए जाने की मांग को लेकर जम्मू में पिछले 40 दिनों से जारी आंदोलन की आग में अब तक 70 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। बावजूद इसके उद्योग और विभिन्न व्यापार संगठनों का अमरनाथ संघर्ष समिति को समर्थन जारी है। जम्मू में जमीन वापस लेने को लेकर वीरवार को आंदोलन 40वें दिन में प्रवेश कर गया, लेकिन इससे जम्मू की अर्थव्यवस्था पूरी तरह बिगड़ चुकी है। उद्योग जगत से जुड़े जानकारों के मुताबिक हालात सामान्य होने के बाद भी अर्थव्यवस्था को पटरी पर आने में चार महीने का समय लगेगा। जेएंडके वालनेट एक्सपो‌र्ट्स एसोसिएशन के प्रधान सुजीव जैन ने बताया कि इस आंदोलन से 500 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। हर साल श्रीनगर से आने वाले 50 हजार टन अखरोट और 10 हजार टन बादामों को बाहरी देशों में निर्यात किया जाता है। इनमें से 80 प्रतिशत अखरोट व बादाम यूरोपीय देशों और मिडिल ईस्ट देशों में निर्यात किया जाता है। आमतौर पर हर साल 15 सितम्बर से श्रीनगर से जम्मू माल पहुंचना शुरू हो जाता है। इसके लिए एक महीना पहले ही पैकिंग संबंधी काम शुरू हो जाता है, लेकिन पिछले 40 दिनों के आंदोलन की आग में इस बार कारोबार पूरी तरह ठप हो गया है। बाहरी देशों से एडवांस में निर्यात के आर्डर तो मिल रहे हैं, लेकिन बुकिंग नहीं की जा रही है। इससे व्यवसाय पूरी तरह ठप हो गया है। चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री के प्रधान राम सहाय ने बताया कि वेयरहाउस की विभिन्न चीजें उपलब्ध नहीं होने से अब तक 5000 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। अगर स्थिति सामान्य हो भी जाती है तो जम्मू की अर्थव्यवस्था को पटरी पर आने में चार महीने लगेंगे। अगर जम्मू की होलसेल मार्केट की बात करें तो वेयर हाउस में हर रोज पांच से छह करोड़ और कनक मंडी में दो से तीन करोड़ रुपये का कारोबार होता है। इसके अलावा परचून व्यापार की मार्केट में रोजाना 25 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। एसोसिएटेड चैंबर आफ ट्रेडर्स फेडरेशन के प्रधान यशपाल गुप्ता ने भी नुकसान के बावजूद हड़ताल का समर्थन करते हुए कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं कि हड़ताल से नुकसान हो रहा है, लेकिन यह नुकसान उस नुकसान से कहीं कम है जो इस समय जम्मू के सम्मान के लिए हो रहा है। जम्मू-कश्मीर ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन के चेयरमैन टीएस वजीर ने बताया कि ट्रकों की आवाजाही बंद होने से ट्रांसपोर्ट जगत को हर रोज 1500 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। आंदोलन से अब तक 70 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है।
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<img src='http://l.yimg.com/ki/epaper/jagran/20080808/09/jmu07udm6-c-3-1_1218168676_m.jpg' border='0' alt='user posted image' />

<img src='http://l.yimg.com/ki/epaper/jagran/20080808/09/jmu07jaa111-c-5-1_1218168610_m.jpg' border='0' alt='user posted image' />

<span style='color:red'>Muslims of Jammu: We are with Hindus in Protests.</span>
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Op-Ed by Hriday Narayan Dikshit

देश को झकझोरता जम्मू

जम्मू के आंदोलन को राष्ट्रीय चेतना को झकझोरने वाला बता रहे हैं हृदयनारायण दीक्षित

जम्मू जल रहा है। जम्मू आग की आंच से दिल्ली में दहशत है। प्रधानमंत्री ने सभी दलों के नेताओं के साथ बैठक की। तय हुआ कि सर्वदलीय टीम जम्मू जाएगी, जायजा लेगी, लेकिन इससे होगा क्या? हिंदू भावना के अपमान का लावा अर्से से पूरे देश में सुलग रहा है। पहले प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय संपदा पर मुसलमानों का पहला अधिकार बताया, हिंदू आहत हुए। फिर केंद्र ने श्रीराम को कल्पना बताया, पूरा देश भभक उठा। सरकारें आस्था प्रतीकों का इतिहास बताने का अधिकार नहीं रखतीं। मनमोहन सरकार ने अनाधिकार चेष्टा की। उसने रामसेतु को तोड़ने का आरोप भी राम पर मढ़ दिया गया। हिंदू मन की आग फिर भभकी। हज यात्रियों को ढेर सारी सुविधांए हैं, लेकिन अमरनाथ यात्रियों के विश्राम के लिए दी गई 40 हेक्टेयर जमीन भी अलगाववादियों के बर्दास्त के बाहर हो गई। वे आंदोलन पर उतारू हुए। उनकी बेजा मांग और आंदोलन के विरूद्ध सेना नहीं बुलाई गई। उल्टे केंद्र और राज्य ने आत्मसमर्पण कर दिया, लेकिन जायज मांग वाले जनआंदोलन को कुचलने के लिए सेना भी बुलाई गई। पुलिस बल टूट पड़ा है। कफ्र्यू है, देखते ही गोली मारने के आदेश हैं, पुलिस और सेना की फायरिंग है। मीडिया पर पाबंदी है। मौलिक अधिकार रसातल में हैं। अघोषित आपातकाल है बावजूद इसके जनसंघर्ष जारी है। सर्वदलीय बैठक ने समस्या का सांप्रदायिकीकरण न करने की अपेक्षा की है। सांप्रदायिक तुष्टीकरण की राजनीति ही सारे फसाद की जड़ है।

बुनियादी सवाल यह है कि पंथनिरपेक्ष संविधान की पंथनिरपेक्ष सरकारें हज जैसी मजहबी यात्रा पर राजकोष लुटाती हैं तो अमरनाथ यात्रियों को मात्र 40 हेक्टेयर जमीन भी अस्थाई रूप से देने में अलगाववादियों के साथ क्यों खड़ी हो जाती हैं? जम्मू कश्मीर मंत्रिपरिषद ने ही सर्वसम्मति से जमीन देने का निर्णय लिया था। बैठक में कांग्रेस और पीडीपी के मंत्री भी शामिल थे। जमीन का एलाटमेंट अस्थाई था। यात्रा के बाद जमीन वन विभाग को लौट जानी थी। श्राइन बोर्ड वहां अस्थाई विश्राम ढांचा ही बना सकता था, लेकिन अलगाववादियों, पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस आदि ने दुष्प्रचार किया कि बोर्ड कश्मीर के बाहरी भारतीयों के लिए आवास बना रहा है। यह भी कि कश्मीरी लोगों को खत्म करने के लिए यहां इसराइल बनाया जा रहा है। जम्मू कश्मीर विधानसभा में तद्विषयक विधेयक पर कोई विरोध नहीं हुआ। इसलिए सरकारी आदेश की वापसी आसान नहीं थी। केंद्र ने नए राज्यपाल वोहरा को मोहरा बनाया। उन्होंने बोर्ड के अध्यक्ष की हैसियत से जमीन वापस की। उन्होंने बोर्ड का संविधान नहीं माना। संविधान के मुताबिक किसी निर्णय के लिए 5 सदस्यों के कोरम की जरूरत थी। वोहरा ने सारा फैसला अकेले लिया। भाजपा और आंदोलनकारी राज्यपाल वोहरा की वापसी चाहते हैं। केंद्र ने वोहरा को हटाने की मांग ठुकरा दी है। उसने जमीन वापसी का कोई वादा नहीं किया। केंद्र तुष्टीकरण नीति पर अडिग है। प्रधानमंत्री ने दलीय संवाद बढ़ाया है,लेकिन यह मसला दलीय असहमति या सहमति का राजनीतिक मुद्दा नहीं है।

राजनाथ सिंह ने अमरनाथ जनसंघर्ष समिति से सीधी वार्ता का आग्रह किया। उन्होंने इसी मुद्दे पर 11 अगस्त से प्रस्तावित पार्टी के आंदोलन को रोकने की मांग ठुकरा दी। यह मसला समूचे विश्व के हिंदुओं, एशिया महाद्वीप और यूरोप में फैले शिव श्रद्धालुओं की आस्था से जुड़ा हुआ है। शिव विश्व आस्था हैं। लंदन विश्वविद्यालय के इतिहासविद् एएल बाशम ने दि वंडर दैट वाज इंडिया में शिव को शांति, संहार और नृत्य का देवता बताया है। गांधार से प्राप्त सिक्कों में शिव प्रतीक वृषभ (बैल) पाया गया है। चीनी यात्री ह्वेनसांग ने भी शिव परंपरा की चर्चा की है। सीरिया के शिल्प में वे विद्युत-देवता है। इस सबके हजारों वर्ष पहले वे ऋग्वेद में हैं, यजुर्वेद में हंै, अथर्ववेद में भी हैं। केंद्र समग्रता में नहीं सोचता। वोट बैंक बाधा है।

जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, लेकिन अस्थाई अनुच्छेद 370 के जरिये कश्मीरी अलगाववाद को संवैधानिक मान्यता है। नेहरू ने इस राज्य का अलग प्रधान (मंत्री) अलग निशान (ध्वज) और अलग विधान भी माना था। श्यामा प्रसाद मुखर्जी इसी के खिलाफ शहीद हो गये। इसके पहले आजादी (15 अगस्त 1947) के ढाई माह बाद ही पाकिस्तानी कबाइली आक्रमण हुआ। जम्मू कश्मीर का भारत में विलय हुआ। पाकिस्तानी फौजें भीतर तक घुस आर्इं। भारतीय फौजों ने दौड़ाया, पीटा। नेहरू ने युद्धविराम माना। संयुक्त राष्ट्र को मिमियाती अर्जी दी गई। तबसे ही जम्मू कश्मीर राष्ट्रीय समस्या है। पाप कांग्रेस ने किया, सजा पूरे राष्ट्र को मिली। घाटी रक्त रंजित रहती है। पाकिस्तानी सिक्के चलाने के प्रस्ताव आते हैं। पाकिस्तान जिंदाबाद होता है। बावजूद इसके फौज को हुक्म नहीं मिलता, लेकिन अमरनाथ मसले पर आंदोलित हिंदुओं के खिलाफ फौज लगी है। जम्मू का सुख और दुख भारत का सुखदुख है। जम्मू में वैष्णव देवी हैं, अमरनाथ हैं। जम्मू कश्मीर में ही पिप्पलाद हुए। विश्वविख्यात दर्शन ग्रंथ प्रश्नोपनिषद इन्हीं के आश्रम में हुई अखिल भारतीय बहस से पैदा हुआ। जम्मू का संघर्ष राष्ट्रीय उत्ताप है। समस्या को समग्रता में विचार करने की जरूरत है। यही समय है कि अलगाववादी अनुच्छेद 370 के खात्मे पर भी विचार होना चाहिए। जम्मू जनसंघर्ष को व्यापक राष्ट्रीय समर्थन मिला है। सेना और पुलिस की गोलियों से निहत्थों का टकराना ऐतिहासिक कार्रवाई है। बार-बार के अपमान से आहत हिंदू इस दफा टकरा गए हैं। जम्मू निवासी बहुत पहले से उपेक्षित और सरकार पीडि़त हैं। घाटी के अलगाववादी सरकार और प्रशासन पर भारी पड़ते हैं। सरकार उनकी हर बात मान लेती है। जम्मू और लेह के निवासी दोयम दर्जे के नागरिक हैं। निर्वासित कश्मीरी पंडित बिलख रहे हैं। इसलिए इस दफा लड़ो और मरो जैसी स्थिति है। निहत्थे आंदोलनकारी लगभग एक माह से लड़ रहे हैं। आंसूगैस, सरकारी बर्बरता, गोलीबारी, कफ्र्यू और सेना की गोली उनमें खौफ नहीं पैदा करते। यहां मनोविज्ञान और वैज्ञानिक भौतिकवाद काम नहीं करता। सबका मन अमरनाथ हो गया है। केंद्र तुष्टिकरण के रास्ते पर है। हिंसक दमन के बावजूद निर्भीक पत्रकार मोर्चे पर हैं। केंद्र दुस्सह दमन और हिंसा को राष्ट्रीय सत्य बनने से रोक रहा है। मुसलमान भारतीय समाज के अभिन्न अंग हैं। उनके ईद, अजान और कुरान हिंदुओं में सम्मानित हैं लेकिन हिंदुओं की अयोध्या, काशी, मथुरा और वैष्णो देवी तथा अमरनाथ कट्टरपंथियों को अखरते हैं। अमरनाथ यात्रियों पर राकेट तनते हैं? हिंदू बुतपरस्त ही सही, लेकिन अपने सीने में कुरान और पुराण का सम्मान एक साथ लेकर चलते हैं। मलाल है कि मनमोहन सिंह औरंगजेब हो रहे हैं। हिंदू मानस की प्रकृति कुचालक है। समाज के एक हिस्से का संवेदन दूसरे हिस्से तक आसानी से नहीं पहुंचता। यहां राष्ट्रवाद की करेंट है, लेकिन छद्म सेकुलरवाद की बाधाएं हैं। दुनिया के मुसलमान डेनमार्क के कार्टूनिस्ट से खफा थे, भारत के भी हुए। अमरनाथ मामले को लेकर राष्ट्र खफा है, लेकिन गुस्सा यहां फुटकर और वैयक्तिक रहता है। चूंकि बर्दाश्त की हद होती है इसीलिए इस दफा का आंदोलन ऐतिहासिक है और पूरे देश में रोष है। बहुसंख्यक वोटों के धु्रवीकरण के खतरे हैं, पर यह आंदोलन वोटवादी नहीं है। आंदोलनकारियों ने राष्ट्रीय चेतना को झकझोरने का काम पूरा किया है। (लेखक उप्र सरकार के पूर्व मंत्री हैं)
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<span style='color:red'>Women Shouting Slogans Asking Armymen to Either Shoot them or Wear Bangles and Apply Heena.</span>

Looks like women of jammu have heard Mudy's recommendation.

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As the number of injured protesters, many in critical condition, is growing, the Medical College students have called off their strike and have joined back the medical college hospital. They however demonstrate solidarity with the movement by shouting slogans in front of the hospital.
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<img src='http://l.yimg.com/ki/epaper/jagran/20080808/09/jmu7jkcd20-c-3-1_1218168580_m.jpg' border='0' alt='user posted image' />

<span style='color:red'>WE ARE UNITED, WILL NOT BEND - Says Jammu!

Jammu is bracing for a long term war. Considering this, they have set up their own community ration distribution system for the weak sections - so that the poor do not suffer from the scarcity caused by the movement. Jammu Traders have proved true to their word as well. An elaborate process of equitable distribution of commodities - free or on credit - has been operationalized overnight.

Community kitchens where free lunch and dinner is served have also come up in every town - all people have come forward to support these kitchens in whichever way - by money or service.</span>

जम्मू : जमीन की जंग में पूरा जम्मू एकजुट नजर आ रहा है। भले ही इससे लोगों को कई परेशानियों का सामना ही क्यों न करना पड़ रहा हो, लेकिन लोग एक दूसरे की मदद कर आंदोलन को अंजाम तक पहुंचाने में जुट गए हैं। बंद और कफ्र्यू से गरीब लोगों को पेश आ रही खाने-पीने की परेशानी को देखते हुए न्यू कलीठ नगर अप्पर गुम्मट के लोग आगे आए हैं। इन लोगों ने वीरवार को चंदा एकत्र कर कई क्विंटल आटा, चावल तथा न्यूटरी गरीब लोगों में बांटी। इन लोगों का कहना है कि वे शुक्रवार को भी गरीबों में मुफ्त राशन बांटेंगे। इसके अलावा शहर में विभिन्न संगठनों, पार्टियों ने जगह-जगह लंगर लगाए तथा जरूरतमंदों में मुफ्त राशन वितरित किया। न्यू कलीठ मोहल्ला वेलफेयर एसोसिएशन के सदस्य नरेश महाजन, विजय महाजन, सुनील महाजन, योगेश महाजन, राकेश महाजन, रिशु महाजन, आशु महाजन, बबलू महाजन, अनु महाजन, संजय महाजन, सोनू तथा डीसी गुप्ता ने बताया कि बंद से गरीब लोगों को पेश आ रही परेशानी को देखते हुए उन्होंने मुफ्त में राशन बांटने की योजना बनाई। इसके लिए मोहल्ले के लोगों ने यथा संभव सहयोग दिया। उन्होंने बताया कि बुधवार को उन्होंने गरीब लोगों की पहचान कर उन्हें पर्चियां बांटी और वीरवार शाम पांच बचे उन्हें राशन देना शुरू किया। उन्होंने बताया कि पांच क्विंटल आटा, दो क्विंटल आलू और एक बोरी न्यूटरी मुफ्त में बांटी गई। उन्होंने कहा कि हमारे जम्मू में बहुत से ऐसे लोग हैं जो सुबह कमाते हैं और शाम को खाते हैं। लेकिन कफ्र्यू के चलते उन्हें परिवार चलाने में दिक्कत पेश आ रही है। उन्होंने कहा कि आप भी गरीब लोगों की पहचान कर उन्हें राशन बांटे। उन्होंने कहा कि हो सकता है अमरनाथ श्राइन बोर्ड को भूमि वापस दिलाने के लिए कितनी लंबी लड़ाई लड़नी पड़े। उन्होंने कहा कि खाली पेट लड़ाई नहीं लड़ी जाती है। श्री अमरनाथ श्राइन सहायता समिति ने जानीपुर कालोनी, भवानी नगर, पंपोश कालोनी, शांत नगर, शिवालिकपुरम में हजार के करीब परिवारों में राशन वितरित किया। समिति के चेयरमैन सुभाष बब्बर ने समिति को सहयोग देने के लिए लोगों का आभार जताया। नानक नगर सेक्टर 8 के राम दरबार मंदिर कमेटी एवं श्री अमरनाथ संघर्ष कमेटी ने लंगर लगा कर जरूरतमंदों को भूख शांत की। कमेटी के प्रधान पप्पू चौधरी ने कहा कि समिति के बैनर तले लंगर लगा कर ऐसे लोगों की मदद करने का प्रयास किया गया जो बंद के कारण खाने-पीने को भी मोहताज हो गए हैं। महेशपुरा निवासियों ने भी ऐसे लोगों के लिए आगे आते हुए गवर्नमेंट मेडिकल कालेज अस्पताल परिसर में लंगर लगाया। पक्का डंगा, नई बस्ती, रेलवे स्टेशन सहित कई अन्य मोहल्लों में भी लंगर लगाने के साथ जरूरतमंदों में राशन वितरित किया गया।
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<img src='http://l.yimg.com/ki/epaper/jagran/20080808/09/jmu7jkcd01-c-3-1_1218168578_m.jpg' border='0' alt='user posted image' />

<img src='http://l.yimg.com/ki/epaper/jagran/20080808/09/jmu7jaa-6-c-3-1_1218168580_m.jpg' border='0' alt='user posted image' />

<img src='http://l.yimg.com/ki/epaper/jagran/20080808/09/jmu7jkcd29-c-3-1_1218168579_m.jpg' border='0' alt='user posted image' />
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<span style='color:red'>Enough Inventory of medicines and LSDs in all parts of Jammu. We shall pull through, says the Jammu Wholesale & Retail Drug Association. To manage the distribution among retailers considering people welfare.</span>

<!--QuoteBegin-->QUOTE<!--QuoteEBegin-->जम्मू सूबे में दवाओं की कमी नहीं
जम्मू, संवाद सहयोगी :

पिछले लगभग डेढ़ महीने से बंद और कफ्र्यू के चलते भी पूरे जम्मू संभाग में कहीं भी दवाओं की कोई कमी नहीं है। यह दावा ड्रग एंड फूड कंट्रोल के ड्रग कंट्रोलर अशोक गुप्ता ने किया। विभिन्न होल सेल एंड रिटेल ड्रग एसोसिएशन के साथ बैठक कर स्थिति का जायजा लेने के बाद अशोक गुप्ता ने बताया कि पूरे संभाग में कहीं भी दवाओं की कोई किल्लत नही है। उनका कहना है कि पूरे जम्मू क्षेत्र में कफ्र्यू के बाद भी दवाओं की दुकानें खुली हुई है और दवाएं आसानी से मिल रही है। अगर संभाग में किसी को दवाओं की कमी खलती है तो वह अपने नजदीकी ड्रग कंट्रोल कार्यालय से संपर्क कर समस्या को रख सकते हैं। उन्होंने जम्मू जिले में दवाओं बारे जानकारी लेने के लिए असिस्टेंट ड्रग कंट्रोलर फरीदा परवीन, राजौरी-पुंछ में असिस्टेंट ड्रग कंट्रोलर राज कुमार कौल, सांबा-कठुआ में असिस्टेंट ड्रग कंट्रोलर रेणुका रैना, उधमपुर, रियासी और रामबन में असिस्टेंट ड्रग कंट्रोलर मुनीष गुप्ता को संपर्क करने को कहा है।<!--QuoteEnd--><!--QuoteEEnd-->
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<span style='color:red'>Come, I will show you!</span>

<img src='http://l.yimg.com/ki/epaper/jagran/20080808/09/jmu7jaa-3-c-4-1_1218168613_m.jpg' border='0' alt='user posted image' />
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<img src='http://l.yimg.com/ki/epaper/jagran/20080808/09/jmu7jaa-9-c-4-1_1218168611_m.jpg' border='0' alt='user posted image' />

<span style='color:red'>May the Atma-s of Martyrs Rest in Peace. People praying for the Martyred youth.</span>

A new slogan has come up:

<span style='color:red'>Amar Shaheedon ka paigaam
jaari rakhna hai sangraam</span>

{Call of the Immortal Martyrs:
'The Movement Must Go On!'}
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